Poem: कहाँ पर बोलना है
कहाँ पर बोलना है और कहाँ पर बोल जाते हैं। जहाँ खामोश रहना है वहाँ मुँह खोल जाते हैं।। कटा जब शीश सैनिक का तो हम खामोश रहते हैं। कटा…
कहाँ पर बोलना है और कहाँ पर बोल जाते हैं। जहाँ खामोश रहना है वहाँ मुँह खोल जाते हैं।। कटा जब शीश सैनिक का तो हम खामोश रहते हैं। कटा…
माह पूस कै बीति जात है, ठिठुरत है अब शहर औ गांव! माघौ में ना आगी मिलिहै, इहै हकीकत जानि तूं जाव! सरकारी कागज में बाऊ, हर चौराहेप जरा अलाव।…
सरसर हवा बाण की नाईं थर थर काँपैं बाबू माई, तपनी तापैं लोग लुगाई कोहिरा छंटत नहीं बा भाई। चहियै सबै जियावत बा, जाड़ा बहुत सतावत बा।। गरमी असौं बराइस…
सुकून गाँव में है, पेड़ों के छाँव में है। शहर के लोग तो, टेंशन, तनाव में हैं। स्वतंत्र हैं लोग यहाँ, न किसी प्रभाव में हैं। द्वेष में कुछ न…
चारों तरफ नए साल का, ऐसा मचा है हो-हल्ला। धरती ठिठुर रही सर्दी से, घना कुहासा छाया है। कैसा ये नववर्ष है, जिससे सूरज भी शरमाया है।। सूनी है पेड़ों…
काश फिर ऐसा हो, तुम मुझे फिर मिलो। फिर मुझे जानने मैं रूचि लो, मुझे वापस बताओ। तुम्हारा लिखा पढ़ा मैंने, बहुत खूब लिखती हो।। फिर तुम्हें गले से लगा…
हम भारत के रहने वाले हैं, भारत की बात बताते हैं। इसकी मिट्टी से प्रेम मुझे, ये जगती को समझाते हैं।। सह जीवन में विश्वास मेरा, प्रकृति से साथ निभाते…
दादी के इंतक़ाल के बाद जब, रो रही थीं घर की औरतें, और नहीं रोक पाया था मैं भी ख़ुद को, ग़मगीन दादा तब भी यही बोले थे, मर्द बच्चे…
एलबम में लगी तस्वीर के नीचे, छुपाकर रखती होगी कोई तस्वीर। तह किये हुए कपड़ों के बीच, पुराने पीले कागज बतौर प्रेम पत्र।। रूमाल में टांकती होगी, कोई खूबसूरत फूल।…
कुम्भ सफल हो झण्डा लेकर थैला थाली और गिलास। स्वच्छ कुम्भ का परिसर सारा सुरक्षित पर्यावरण विकास।। गांव गांव में करें जागरण नव चैतन्य का ले प्रकाश। घर से चलें…