Kavita: सियासत एक लानत हो गई है
लहू पीने की आदत हो गई है सियासत एक लानत हो गई है शरीफों की कहां दुनिया बची है जहां में अब शराफ़त खो गई है थी कुदरत ने हमें…
लहू पीने की आदत हो गई है सियासत एक लानत हो गई है शरीफों की कहां दुनिया बची है जहां में अब शराफ़त खो गई है थी कुदरत ने हमें…
बृजेंद्र खिल उठे हृदय का तंतु तंतु, जग उठें शीत में सुप्त जंतु। हँसती चहूं दिश होवे बयार, स्वागत को हो ऋतुराज द्वार।। जब रंगबिरंगी तितली बहकें, विविध भांति चिड़िया…