Poem: जग के नाथ जगन्नाथ

नीलांचल पर्वत पर शोभित, एक नगर है शांत बड़ा, जहाँ भक्तगण भीड़ लगाए, करुण भाव में नयन भरा। पुरी नगरी पूज्य सदैव, तीर्थों में उत्तम सम्मान, जहाँ स्वयं भगवान रचाते,…

Poem: उधर उर्वशी व्यस्त हुई है

परिवर्तन ऐसा आया है, रहन सहन सब भव्य हो गए। भोलापन हो गया नदारद, कहने को हम सभ्य हो गए।। नर-नारी में होड़ लगी है, किससे आगे कौन रहेगा। कोई…

Poem: ससुरी गरमी

ससुरी गरमी खाय रही है। दिन मा दुइ-दुइ बार नहाई लागै बम्बा मा घुसि जाई। जब देखो तब बिजुरी गायब, ओकरे संगे पानिउ गायब। झाड़ू-पोंछा अबै लगावा, आंधी चली, दंड…

Poem: मैं नदी-नाल का केवट हूँ

मैं नदी-नाल का केवट हूँ, तुम भवसागर के मालिक हो। मैं तो लहरों से लड़ता रहा तुम पार उतरने वाले हो। मेरी नैया डगमग डोले तेरी कृपा तो संबल हो।…

Poem: बड़ा करारा घाम लगत हौ

बड़ा करारा घाम लगत हौ। तपै जेठ के गरम महीना। तर-तर तर चुवै पसीना। एही में न्योता और हकारी। केहु के ब्याह परल ससुरारी। चार ठों न्योता गांव में बाटै।…

Poem: नेता बनाम नेता

उस नेता ने नारा दिया था स्वराज हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है। अब नेता का नारा है अपनी तिजोरी भरना हमारा कर्मसिद्ध अधिकार है। उस नेता ने कहा था तुम मुझे…

Poem: तुमको जगना उठना ही होगा

आज काल का चक्र कह रहा तुमको जगना उठना ही होगा। छोड़ जातीयों के कुचक्र भेद ले राष्ट्र भाव जुटना ही होगा।। राम कृष्ण के वंशज हम सब तुलसी, वाल्मीकि,…

Poetry: साबरमती के सन्त

चमचे को ताज देके किया देश को बदहाल, साबरमती के सन्त तूने ये किया कमाल! थीं हाईफाई नीतियां, चेला था हवाई, उसने हमारे देश की संस्कृति ही मिटाई। अंग्रेजियत का…

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