Kahani: चार टका

एक गाँव में एक ब्राह्मण सपरिवार रहता था। उसका भानजा उसके साथ रहता था। भानजा एकदम मूर्ख था। कोई काम-धाम नहीं करता। घर में रहकर मामा-मामी की रोटियाँ तोड़ता रहता…

Kahani: शिवभक्त बन गया शिकारी

Kahani: प्राचीन काल में किसी जंगल में गुरुद्रुह नाम का एक शिकारी रहता था। जो जंगली जानवरों का शिकार करता और उससे अपने परिवार का भरण-पोषण करता। एक बार शिवरात्रि…

Kahani: प्रशंसनीय झूठ

Kahani: मम्मी-मम्मी, मैं उस बुढिया के साथ स्कूल नहीं जाउँगा, न ही उसके साथ वापस आउँगा। मेरे दस वर्ष के बेटे ने गुस्से से अपना स्कूल बैग फेंकते हुए कहा…

Kahani: व्यर्थ की चिंता

Kahani: एक व्यक्ति बहुत दिनों से तनावग्रस्त चल रहा था, जिसके कारण वह काफी चिड़चिड़ा तथा क्रोध में रहने लगा था। वह सदैव इस बात से परेशान रहता था कि…

Prerak Prasang: परिश्रम रूपी धन

Prerak Prasang: सुन्दरपुर गांव में एक किसान रहता था। उसके चार बेटे थे। वे सभी आलसी और निक्कमे थे। जब किसान बुढ़ा हुआ तो उसे बेटों की चिंता सताने लगी।…

Prerak Prasang: संगति, परिवेश और भाव

Prerak Prasang: एक राजा अपनी प्रजा का भरपूर ख्याल रखता था। उसके राज्य में अचानक से चोरी की शिकायतें बहुत आने लगीं। कोशिश करने से भी चोर पकड़ा नहीं गया।…

Kahani: गुरु की बात मानो

Kahani: नारायण दास एक कुशल मूर्तिकार थे। उनकी बनाई मूर्तियां दूर-दूर तक मशहूर थीं। नारायण दास को बस एक ही दुख था कि उनके कोई संतान नहीं थी। उन्हें हमेशा…

Kahani: हो गई गलती

Kahani: राजा कृष्णदेव राय का दरबार सजा था। सदा की भाँति तेनालीराम भी अपने आसन पर विराजमान थे। महाराज कृष्णदेव राय के दरबार में योग्य व्यक्तियों का अभाव न था।…

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