Poem: सुकून गाँव में है

सुकून गाँव में है, पेड़ों के छाँव में है। शहर के लोग तो, टेंशन, तनाव में हैं। स्वतंत्र हैं लोग यहाँ, न किसी प्रभाव में हैं। द्वेष में कुछ न…

Poem: भटक गए हम राहों में

भटक गए हम राहों में, मंजिल का ठिकाना नहीं था। ले गई जिंदगी उन राहों में, जहां हमें जाना नहीं था। कुछ क़िस्मत की मेहरबानी, कुछ हमारा कसूर था। हमने…

Poem: हम भारत के रहने वाले हैं

हम भारत के रहने वाले हैं, भारत की बात बताते हैं। इसकी मिट्टी से प्रेम मुझे, ये जगती को समझाते हैं।। सह जीवन में विश्वास मेरा, प्रकृति से साथ निभाते…

Diwali: आंधिया चाहे उठाओ

आंधिया चाहे उठाओ, बिजलियां चाहे गिराओ, जल गया है दीप तो, अंधियार ढलकर ही रहेगा। रोशनी पूंजी नहीं है, जो तिजोरी में समाए, वह खिलौना भी न, जिसका दाम हर…

Kavita: सच्चा समाजवाद

सच्चा समाजवाद एक अंधा, एक लंगड़ा, दोनों ने एक-दूसरे को पकड़ा। दोनों साथ-साथ चलने लगे, एक-दूसरे पर मरने लगे। बातों के बताशे फोड़ने लगे, राष्ट्रवाद का गला मरोड़ने लगे। उनमें…

Kavita: रग रग में पीड़ा बहती है

रग रग में पीड़ा बहती है, जो चिर जीवन तक रहती है। जगजीव, मनुष्य की देह सदा, क्षण क्षण पल प्रतिपल ढहती है।। कर्मों का फल तो मिला नहीं, इस…

Kavita: एक अनजान से रिश्ते को

मैंने देखा है फिल्मों में वो लड़के जो बना करते हैं एक टूटी सी लड़की का सहारा कन्धा कहलाये जाते हैं। मारते हैं फटीक वो अपनी ही मोटरसाइकिलों पे बैठाकर…

Kavita: नदी की पुकार

नदी पुकार रही है हमको, मिल कर मुझे बचाओ। अविरल निर्मल सदा बहूं, य़ह सब को समझाओ।। मैं बची बचोगे तुम भी, य़ह सम्भावित सत्य है। तुम से है सम्बन्ध…

Kavita: हिंदू हिंसक होता तो

आतंक का कोई मज़हब नहीं जो रोज़ हमें समझाते हैं। हिंदू हिंसक होते है ये संसद में चिल्लाते हैं। कमर में बाँधके बम फटने क्या हिंदू कोई जाता है। सर…

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