Kavita: शुभ संकेत

भारत फिर से जाग रहा है विघटन दुर्गुण भाग रहा है। जगे रक्त वंश संबन्ध पुराने पुरखों का युग मांग रहा है।। तुर्क मुगल हैं नहीं हमारे मति भ्रम से…

Diwali: आंधिया चाहे उठाओ

आंधिया चाहे उठाओ, बिजलियां चाहे गिराओ, जल गया है दीप तो, अंधियार ढलकर ही रहेगा। रोशनी पूंजी नहीं है, जो तिजोरी में समाए, वह खिलौना भी न, जिसका दाम हर…

Kavita: समरसता गीत

छोड़ विषमता की बातों को, हिंदू राष्ट्र अपनी पहचान; सामाजिक समरसता से ही, अपना भारत बने महान-2। कोटि हिंदु से बना है भारत, कोटि हिंदु अपनी पहचान; ध्यान रहे भारत…

Kavita: आ लौट चलें

एक दिन नाचते-नाचते पता लगा यह जो यहां आता है, कुछ सकुचाता, कुछ घबराता है, वह राजकुमार है, लुटेरे वंश की गद्दी का अकेला हकदार है। दिमाग खिल उठा, दिल…

Kavita: ज्यों निकल कर बादलों की गोद से

ज्यों निकल कर बादलों की गोद से थी अभी इक बूँद कुछ आगे बढ़ी, सोचने फिर-फिर यही जी में लगी आह क्यों घर छोड़ कर मैं यूँ कढ़ी। दैव मेरे…

Kavita: चीजों को सुलझाना

चीजों को सुलझाना जिंदगी भर चलता रहेगा, आरंभ में दूध की बोतल खोजोगे खिलौनों की भीड़ में, फिर पंतग की उलझी हुई डोर सुलझाओगे जवानी में सुलझाते रहोगे रोजी रोटी…

Kavita: एक अनजान से रिश्ते को

मैंने देखा है फिल्मों में वो लड़के जो बना करते हैं एक टूटी सी लड़की का सहारा कन्धा कहलाये जाते हैं। मारते हैं फटीक वो अपनी ही मोटरसाइकिलों पे बैठाकर…

Kavita: नदियों की दुर्गति से समझें

है शरीर यदि स्वस्थ्य हमारा, हम कुछ भी कर सकते हैंI कोई असम्भव कार्य नहीं है, ऊंची उड़ान भर सकते हैं।। स्वस्थ शरीर के लिए चाहिए, नस नाड़ी सब स्वस्थ्…

Kavita: हारे हुए लोग कहाँ जायेंगे?

हारे हुए लोग कहाँ जायेंगे? हारे हुए लोगों के लिए कौन दुनिया बसाएगा? उन पराजित योद्धाओं के लिए, तमाम शिकस्त खाए लोगों के लिए। प्रेम में टूटे हुए लोग, सारी…

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