Poem: आ लौट चलें
आ लौट चलें एक दिन नाचते-नाचते पता लगा यह जो यहां आता है, कुछ सकुचाता, कुछ घबराता है, वह राजकुमार है, लुटेरे वंश की गद्दी का अकेला हकदार है। दिमाग…
आ लौट चलें एक दिन नाचते-नाचते पता लगा यह जो यहां आता है, कुछ सकुचाता, कुछ घबराता है, वह राजकुमार है, लुटेरे वंश की गद्दी का अकेला हकदार है। दिमाग…
कोशिश करो कि बस बच जाएं इतनी सी भावनाएं कि युद्ध की विभीषिका के बीच जब चल रही हों दनादन गोलियां तोपों से बरस रही हो आग खंडहर में तब्दील…
परिवर्तन ऐसा आया है, रहन सहन सब भव्य हो गए। भोलापन हो गया नदारद, कहने को हम सभ्य हो गए।। नर-नारी में होड़ लगी है, किससे आगे कौन रहेगा। कोई…
ससुरी गरमी खाय रही है। दिन मा दुइ-दुइ बार नहाई लागै बम्बा मा घुसि जाई। जब देखो तब बिजुरी गायब, ओकरे संगे पानिउ गायब। झाड़ू-पोंछा अबै लगावा, आंधी चली, दंड…
मैं नदी-नाल का केवट हूँ, तुम भवसागर के मालिक हो। मैं तो लहरों से लड़ता रहा तुम पार उतरने वाले हो। मेरी नैया डगमग डोले तेरी कृपा तो संबल हो।…
जब रसोई में दाना न हो छप्पन भोग बना दे। सोने को बिछौना न हो पलकें बिछा दे। सिर पर छत न हो आँचल ओढ़ा दे। रोने को कंधा न…
बड़ा करारा घाम लगत हौ। तपै जेठ के गरम महीना। तर-तर तर चुवै पसीना। एही में न्योता और हकारी। केहु के ब्याह परल ससुरारी। चार ठों न्योता गांव में बाटै।…
मेरे प्यारे, कुत्ता भाइयो! तुम सो रहे हो, अपना भविष्य खो रहे हो। हम तुम्हें जगाने आए हैं, तुम्हारी नींद भगाने आए हैं। नसीहतें मानते रहो, चैन से सोना है…
उस नेता ने नारा दिया था स्वराज हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है। अब नेता का नारा है अपनी तिजोरी भरना हमारा कर्मसिद्ध अधिकार है। उस नेता ने कहा था तुम मुझे…
धरती का चूमचाम बदरे में रेखा हाय रे परान तोहे कबहुं न देखा। बदले भूगोल अब बदले विशेखा भारती के भाल से मिटे कलंक रेखा। देखा नहीं सिंध पंजाब सज्जो…