Kavita: सिसकते साजों का संगीत

एलबम में लगी तस्वीर के नीचे, छुपाकर रखती होगी कोई तस्वीर। तह किये हुए कपड़ों के बीच, पुराने पीले कागज बतौर प्रेम पत्र।। रूमाल में टांकती होगी, कोई खूबसूरत फूल।…

Kavita: कुम्भ सफल हो झण्डा लेकर

कुम्भ सफल हो झण्डा लेकर थैला थाली और गिलास। स्वच्छ कुम्भ का परिसर सारा सुरक्षित पर्यावरण विकास।। गांव गांव में करें जागरण नव चैतन्य का ले प्रकाश। घर से चलें…

Kavita: शुभ संकेत

भारत फिर से जाग रहा है विघटन दुर्गुण भाग रहा है। जगे रक्त वंश संबन्ध पुराने पुरखों का युग मांग रहा है।। तुर्क मुगल हैं नहीं हमारे मति भ्रम से…

Diwali: आंधिया चाहे उठाओ

आंधिया चाहे उठाओ, बिजलियां चाहे गिराओ, जल गया है दीप तो, अंधियार ढलकर ही रहेगा। रोशनी पूंजी नहीं है, जो तिजोरी में समाए, वह खिलौना भी न, जिसका दाम हर…

Kavita: सच्चा समाजवाद

सच्चा समाजवाद एक अंधा, एक लंगड़ा, दोनों ने एक-दूसरे को पकड़ा। दोनों साथ-साथ चलने लगे, एक-दूसरे पर मरने लगे। बातों के बताशे फोड़ने लगे, राष्ट्रवाद का गला मरोड़ने लगे। उनमें…

Kavita: समरसता गीत

छोड़ विषमता की बातों को, हिंदू राष्ट्र अपनी पहचान; सामाजिक समरसता से ही, अपना भारत बने महान-2। कोटि हिंदु से बना है भारत, कोटि हिंदु अपनी पहचान; ध्यान रहे भारत…

Kavita: आ लौट चलें

एक दिन नाचते-नाचते पता लगा यह जो यहां आता है, कुछ सकुचाता, कुछ घबराता है, वह राजकुमार है, लुटेरे वंश की गद्दी का अकेला हकदार है। दिमाग खिल उठा, दिल…

Kavita: ज्यों निकल कर बादलों की गोद से

ज्यों निकल कर बादलों की गोद से थी अभी इक बूँद कुछ आगे बढ़ी, सोचने फिर-फिर यही जी में लगी आह क्यों घर छोड़ कर मैं यूँ कढ़ी। दैव मेरे…