बरेली: बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता वयस्कों की तुलना में बहुत कमजोर होती है। इस कारण वह आसानी से बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं। बदलते मौसम में ज्यादातर अभिवावक बच्चों की खांसी को सामान्य खांसी या एलर्जी मानकर जांच कराना उचित नहीं समझते लेकिन यही सामान्य खांसी या एलर्जी टीबी का संकेत हो सकती है। टीबी के बैक्टीरिया किसी भी उम्र के व्यक्ति को अपना शिकार बना सकता है, लेकिन शिशुओं में इसके पनपने का खतरा ज्यादा रहता है। टीबी माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस नामक बैक्टीरिया के कारण होता है।
जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. केके मिश्रा ने बताया कि बच्चों से टीबी बैक्टीरिया दूसरों में फैलने की आशंका कम होती है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि बच्चों में टीबी के जीवाणु वयस्कों की तुलना में कम संक्रामक होते हैं। 15 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में क्षय रोग बड़ी स्वास्थ्य समस्या है। उनका कहना है कि टीबी एक संक्रामक बीमारी है, जो एक से दूसरे को आसानी से हो सकती है। टीबी के मामले सबसे ज्यादा पांच वर्ष से कम उम्र के शिशुओं में और 10 वर्ष से अधिक उम्र के किशोरों में देखे जाते हैं। इसलिए बच्चों और किशोरों के खानपान का खास ख्याल रखना बहुत जरूरी है।
बच्चों में टीबी के लक्षण
– हल्का बुखार बना रहे
– वजन न बढ़ना, भूख कम लगना
– दो हफ्तों से ज्यादा खांसी आना
– रात में पसीना आना
– कमजोरी
– सांस लेने में दिक्कत होना
2600 से अधिक क्षय रोगियों को गोद लिया जा चुका है
जिला पीपीएम समन्वयक विजय कुमार ने बताया कि वर्ष 2021 में 15 साल तक के 1225 बच्चे क्षय रोग से ग्रसित पाये गये थे, जिनका टीबी का इलाज शुरू किया। वर्ष 2022 में अब तक 652 बच्चों को खोज कर इलाज शुरू किया गया है। उन्होंने बताया कि राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने टीबी से ग्रसित क्षय रोगियों को गोद लेने की मुहिम शुरू की थी। जिसमें अब तक विभिन्न संस्थाओं द्वारा 2600 से अधिक क्षय रोगियों को गोद लिया जा चुका है। इस योजना में टीबी ग्रसित क्षय रोगियों के परिवार वालों का सहमति पत्र लिया जाता है। उसके पश्चात कोई भी संस्था या संभ्रांत व्यक्ति क्षय रोगियों को गोद ले सकता है, जिसमें वह उनको पोषक आहार प्रदान करने के साथ ही भावनात्मक सहयोग भी प्रदान करता है।
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बच्चों का टीबी से बचाव
– बच्चे को गंभीर खांसी से पीड़ित लोगों से दूर रखें।
– शिशु को जरूरी टीके समय पर लगवाएं, जिसमें बीसीजी टीका शामिल होता है।
– टीबी के लक्षण दिखने पर तुंरत बच्चे को डॉक्टर के पास ले जाएं।
– एंटी टीबी दवाइयों का कोर्स बच्चे को जरूर पूरा करवाएं।
लाभार्थियों से बातचीत
बरेली के एक गांव निवासी अहमद (बदला हुआ नाम) ने बताया कि उनकी बेटी 16 साल की है उसके कान से पानी बहता था और गले में गांठ थी जिसका इलाज कराने के लिए डॉक्टर के पास गए वहां उन्होंने जांच कराई तो पता चला उसको टीबी है। करीब डेढ़ महीने से बेटी टीबी की दवा खा रही है अब पहले से बहुत अंतर है। बरेली के गांव निवासी सुरेंद्र (बदला हुआ नाम) ने बताया कि उनकी 10 साल की बेटी को कंधे के पास बहुत दर्द होता था जब डॉक्टर को दिखाया तो कंधे पर पस पड़ने का पता चला। उसकी जांच कराई तो जांच रिपोर्ट में टीबी निकला। करीब 3 महीने से बेटी का इलाज चल रहा है अब उसकी तबीयत में काफी सुधार है।
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