गौरव तिवारी
प्रतापगढ़: कहा जाता है कि प्यार और जंग में सब कुछ जायज है, लेकिन यह अब सियासत पर एकदम सटीक बैठता है। राजनीति में नीति और नैतिकता अब सिर्फ कहने की बात रह गई हैं। सभी दलों को जिताऊं उम्मीदवार की तलाश होती है। प्रत्याशी का इतिहास केवल चर्चा करने के काम आता है। टिकट तो उसकी दबंगई पर मिलने हैं। जनता भी चुनाव के बाद पांच सालों तक नीति और नैतिकता की खूब बातें करती है, मगर जब चुनाव का वक्त आता है तो जाति और पैसे के सामने जनता की नैतिकता का पतन सबसे पहले होता है। शायद यही वजह है कि अपराधी प्रवृत्ति और पैसे वाले शरीफ और योग्य उम्मीदवार के सामने चुनाव जीत जाते हैं। यह हम नहीं बल्कि चुनावी आंकड़े बताते हैं। यूपी चुनाव 2022 जीतने के लिए सपा किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं। उसने जहां जेल में बंद आजम खान व नाहिद हसन को टिकट देकर अपने चरित्र को उजागर किया है, वहीं प्रतापगढ़ में पहली बार राजा रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया के खिलाफ उम्मीदवार भी उतार दिया है। राजा भैया के खिलाफ सपा प्रत्याशी कोई और नहीं बल्कि कभी उनके बेहद करीबी रहे गुलशन यादव को बनाया गया है। गुलशन यादव का आपराधिक इतिहास रहा है। उस पर अपराध के कई मामले दर्ज हैं।
गौरतलब है कि मंगलवार देर रात समाजवादी पार्टी की तरफ से कौशाम्बी, प्रतापगढ़ और प्रयागराज के दस प्रत्याशियों की सूची जारी किया गया है। इस सूची में जहां दुष्कर्म के मामले में सजा काट रहे गायत्री प्रजापति की पत्नी को उम्मीदवार बनाया गया है, वहीं डीएसपी जियाउल हक की हत्या में आरोपी रहे गुलशन यादव को राजा भैया के खिलाफ मैदान में उतारा गया है। ज्ञात हो कि सपा नेतृत्व ने रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया के खिलाफ पिछले 15 वर्षों से विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी नहीं उतारे थे। हालांकि राजा भैया का निर्दलीय चुनाव जीतने का अपना रिकार्ड भी रहा है, लेकिन इस बार हालात काफी बदल गए हैं। पिछले दिनों अखिलेश यादव ने जहां सार्वजनिक तौर पर राजा भैया कौन हैं पूछ रहे थे, वहीं अब कभी उन्हीं के करीबी रहे गुलशन यादव को उनके खिलाफ प्रत्याशी बना दिया है। कुंडा और बाबागंज विधानसभा राजा भैया का गढ़ माना जाता रहा है। यहां राजा भैया का अपना अलग ही प्रभाव रहा है।
गुलशन यादव का आपराधिक इतिहास काफी लंबा है। यह वही शख्स है जो पेशी के दौरान अपने हथियार बंदा लोगों के संरक्षण में पुलिस सुरक्षा को तोड़कर भागने का प्रयास कर चुका है। इतना ही नहीं जेल से बरी होने पर गुलशन यादव के समर्थक सड़क पर उतर कर ‘जेल के ताले टूट गए, गुलशन भइया छूट गए’ जैसे नारे गूंज रहे थे। प्रतापगढ़ के कुंडा के रहने वाले गुलशन यादव को नाम बहुबली राजा भैया की वजह से मिली है। एक समय था जब वह राजा भैया के सबसे करीबियों में हुआ करता था। वह कुंडा टाउन एरिया के चेयरमैन भी रह चुके हैं।
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2 मार्च, 2013 में हथिगया थाना क्षेत्र के बलीपुर गांव में ग्राम प्रधान नन्हे यादव की चुनावी रंजिश में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस घटना से आक्रोशित प्रधान के समर्थकों ने आरोपी कमला पाल के घर पर धावा बोलकर उसका घर जला दिया था। इसके बाद भीड़ संजय सिंह उर्फ गुड्डू के घर की तरफ बढ़ रही थी, तभी जानकारी होने पर मय फोर्स के साथ सीओ कुंडा रहे जियाउल हक वहां पहुंच गए। उन्होंने भीड़ को रोकने की कोशिश की, तो प्रधान के भाई सुरेश यादव ने बंदूक की बट से उनके सिर पर हमला कर दिया। बंदूक की छीना झपटी में गोली चल गई और सुरेश यादव की मौके पर ही मौत हो गई।
सुरेश यादव को गोली लगते ही भीड़ सीओ पर टूट पड़ी और पीट पीट कर उनकी हालत काफी गंभीर कर दी। इसके बाद गोली मारकर उन्हें मौत के घाट उतार दिया गया। इस मामले में सीओ जियाउल हक की पत्नी परवीन आजाद ने राजा भैया को मुख्य आरोपी बनाते हुए उनके समर्थकों के खिलाफ हथिगवां थाने में मुकदमा दर्ज कराया था। उस समय राजा भैया अखिलेश यसरकार में कैबिनेट मंत्री थे, जिन्हें विवाद काफी बढ़ने पर मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ गया। हालांकि साक्ष्य व गवाहों के अभाव में राजा भैया को बाद में मामले में बरी कर दिया गया है। इस हत्याकांड में गुलशन यादव का भी नाम आया था, उसे भी आरोपी बनाया गया था।
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