प्रकाश सिंह
लखनऊ: समाजवादी पार्टी के चाल, चेहरा और चरित्र पर अक्सर सवाल उठते रहते हैं। लेकिन ये सवाल अगर कभी पार्टी के नींव की ईंट रहे लोग उठाने लगे तो इसके मायने बदल जाते हैं। तब यह लगने लगता है कि पार्टी पर जो आरोप लगते रहे हैं वह सच थे। हालांकि अखिलेश यादव कहते रहते हैं कि उनकी समाजवादी पार्टी डॉ. लोहिया की विचारवादी पार्टी है, उनके विचारों को आगे बढ़ाने का काम कर रही है। लेकिन मौजूदा हालात में पार्टी की जो परिपाटी है वह कहीं से लोहिया के विचार से मेल नहीं खाती। ऐसा हम नहीं कहते बल्कि अन्य पार्टियों के नेताओं का आरोप है। ऐसा कहा जाता है कि समाजवादी सोच अब एक परिवार की सोच बन गई है। डॉ. लोहिया, जनेश्वर मिश्र की सोच से आज की समाजवादी पार्टी में हाशिये पर चली गई है। बीते दिनों सपा के बरिष्ठ नेता प्रो. रोम गोपाल यादव ने अचानक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आवास पर पहुंचकर मुलाकात की थी थी।
आज समाजवादी पार्टी के प्रमुख राष्ट्रीय महासचिव प्रोफेसर रामगोपाल यादव जी ने मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी से लखनऊ में मुलाक़ात की।
प्रदेशभर में पिछड़ों और मुसलमानों पर एकतरफा फ़र्ज़ी मुकदमें दर्ज कर उनके उत्पीड़न के संदर्भ में की बात।
फ़र्ज़ी मुकदमों को वापस ले सरकार।
— Samajwadi Party (@samajwadiparty) August 1, 2022
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से प्रो. राम गोपाल यादव की इस मुलाकात को सियासी रंग देते हुए और मुस्लिम तुष्टिकरण को हवा देते हुए पार्टी की तरफ से ट्वीट किया गया था, ‘आज समाजवादी पार्टी के प्रमुख राष्ट्रीय महासचिव प्रोफेसर रामगोपाल यादव ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लखनऊ में मुलाक़ात की। प्रदेशभर में पिछड़ों और मुसलमानों पर एकतरफा फ़र्ज़ी मुकदमे दर्ज कर उनके उत्पीड़न के संदर्भ में की बात। फ़र्ज़ी मुकदमों को वापस ले सरकार।’ समाजवादी पार्टी के इस ट्वीट के बाद यह चर्चा आम हो गई कि सपा ने इस मुलाकात को मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति अपना कर सियासी हित साधने की कोशिश कर रही है। वहीं सपा से अलग हुए सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल यादव ने समाजवादी की इस सोच पर सवाल खड़े करते हुए सवाल किए हैं।
न्याय की यह लड़ाई अधूरी क्यों हैं?
आजम खान साहब, नाहिद हसन, शहजिल इस्लाम…..और अन्य कार्यकर्ताओं के लिए क्यों नहीं ? pic.twitter.com/Iy0MVRWCJO— Shivpal Singh Yadav (@shivpalsinghyad) August 2, 2022
शिवपाल यादव ने ट्वीट करते हुए पूछा है, ‘न्याय की यह लड़ाई अधूरी क्यों हैं? आजम खान साहब, नाहिद हसन, शहजिल इस्लाम…..और अन्य कार्यकर्ताओं के लिए क्यों नहीं? शिवपाल यादव का यह सवाल वाजिब भी है। क्योंकि सपा को अगर मुस्लिमों की वास्तव में चिंता थी, उसने अपने वरिष्ठ और कद्दावर नेताओं के खिलाफ हुई कार्रवाई पर पहले सवाल क्यों नहीं किया? आजम खान लंबे समय तक सलाखों के पीछे रहे, लेकिन सपा चुप्पी साधे रही। नाहिद हसन, शहजिल इस्लाम की लाखों की संपत्तियां जब्त हो गई पार्टी ने कोई सवाल नहीं किए।
इसे भी पढ़ें: कलमा पढ़ाने वाले स्कूल पर मुकदमा दर्ज
ऐसे सपा को एकबार फिर मुस्लिमों की चिंता क्यों सताने लगी? इसी तरह के कई सवाल हैं, जो आज की समाजवादी सोच पर सवाल खड़े करते हैं। वहीं सपा की तरफ से अपराधियों पर हो रही कार्रवाई पर भाजपा सरकार को लगातार घेरने की कोशिश होती रहती है। आरोप लगाए जाते रहते हैं कि सत्ता का दुरुपयोग किया जा रहा है। लेकिन बड़ा सवाल यह भी है कि क्या जिन लोगों पर कार्रवाई हो रही है, क्या वह निर्दोष हैं? अगर नहीं तो ऐसे आरोप फिर क्यों?
इसे भी पढ़ें: लखनऊ और कानपुर के पुलिस कमिश्नर इन मामलों में करा चुके हैं यूपी सरकार की फजीहत