नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में आज लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण का जवाब देते हुए किसानों और विपक्षी दलों  के हर सवाल का जवाब देते हुए बात के जरिए हर शंका को समाप्त करने का भरोसा दिलाया है।  उन्होंने कहा कि जब कानून में किसानों को अन्य विकल्प चुनने का अधिकार दिया गया है तो वह गलत कैसे हो सकता है। विपक्षी दलों पर हमला बोलते हुए कहा कि कितना अच्छा होता कि संसद में माननीय हंगामा करने की जगह कृषि कानूनों पर व्याप्त शंकाओं पर सार्थक बहस करता। उन्होंने प्रदर्शनकारी किसानों  मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि लोकतंत्र में शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने का अधिकार हर किसी को है। लेकिन प्रदर्शन की आड़ में टावर को नुकसान पहुँचाना, भारतीय झंडे का अपमान करना किसानों के आंदोलन को अपवित्र किया है।  पीएम मोदी ने जेल में बंद नक्सलवादी-आतंकवादी की फोटो लेकर रिहाई की मांग करने वालों का जिक्र करते हुए कहा कि इससे किसान आंदोलन को अपवित्र करने की कोशिश की गई।

प्रधानमंत्री ने किसानों से  एक बार फिर से  अपील की कि टेबल पर बैठकर, मिलकर समस्या का समाधान निकालें। पीएम ने कहा कि मैं किसानों के आंदोलन को पवित्र मानता हूं। लेकिन जब आंदोलन जीवी किसी पवित्र आंदोलन को अपने फायदे के लिए उठते हैं तो उसके पवित्रता पर सवाल उठने लगता है। किसान आंदोलन की आड़ में नक्सलवादी, आतंकवादी आदि जेल में उनकी फोटो लेकर रिहाई की मांग करके किसान आंदोलन को अपवित्र करने की कोशिश की गई। प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में पब्लिक सेक्टर जितना जरूरी है, उतना ही प्राइवेट सेक्टर भी महत्वपूर्ण है। किसानों के इंफ्रस्टक्चर के लिए हमने एक लाख करोड़ रुपए की व्यवस्था की है। उन्होंने कहा किसानों को हम धीरे-धीरे फल, फूल और सब्जी उत्पादन की तरफ ले जा सकते हैं।

बड़ा बदलाव लाकर हमें किसानों को एक लंबी यात्रा के लिए तैयार करना होगा। उन्होंने कहा कि सत्ता में हो या विपक्ष में हर किसी की जिम्मेदारी बनती है कि वह किसानों के लिए काम करें। किसानों को सशक्त बनाने की जिम्मेदारी सबकी है। पीएम ने कहा, हमारे यहां एग्रीकल्चर हमेशा समाज के कल्चर का हिस्सा रहा है। फसल बोने और काटने के साथ  हमारे पर्व, त्योहार सब जुड़े हुए हैं। यहा राजा जनक और कृष्ण के भाई बलराम ने भी हल चलाया है।

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