समझ कर चलो तुम,
सम्हल कर चलो तुम।
भारत को भारत
बनाना तुम्हें है।।
ह्रदय से ह्रदय सब
मिलें एक रस हो।
ह्रदय से ह्रदय को
मिलाना तुम्हें है।।
इतिहास की भूलों को
न भूलो कभी भी।
चाणक्य को कर याद
जगना जगाना तुम्हें है।।
जयचंद अभी भी हैं
विघटन से भरे नित्य।
समाज को कर जागृत
उनसे बचाना तुम्हें है।।
इतिहास भारत का
अब स्वर्णिम बने फिर।
संगठन साधना कर
कर्तव्य निभाना तुम्हें है।।
विजय हो सनातन की
विश्व शान्ति का पथ है।
कल्याण हो जगत का
परिवार वसुधा बनानी तुम्हें है।।
बृजेन्द्र पाल सिंह,
राष्ट्रीय संगठन मंत्री लोकभारती,
केन्द्र लखनऊ
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