PM Modi Birthday: भारत के इतिहास में लगभग एक सहस्त्राब्दी के बाद पूरब से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण तक बहुत कुछ सनातनमय दिख रहा है। (Prime Minister Narendra Modi birthday) पृथ्वी पर किसी भी भूभाग पर रहने वाला प्रत्येक भारतीय स्वयं को भारतीय कह कर गौरवान्वित अनुभव कर रहा है। (Prime Minister Narendra Modi birthday) भारत के भीतर राजधर्म और राष्ट्रधर्म के साथ साथ भारतधर्म की स्थापना हो रही है। इसका सबसे बड़ा प्रमाण है, अंग्रेजी पराधीनता से मुक्ति के 75 वर्ष पूरे होने के बाद हर घर तिरंगा का लहराना और फहराना।
सनातन की मूल काशी में विश्वदेव भगवान विश्वनाथ का भव्य परिसर हो या अयोध्या में भगवान श्रीराम की जन्मभूमि पर भव्य मंदिर का निर्माण, मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव हो या सोमनाथ में अभिषेक, केदार नाथ की गुफा में साधना हो या पावन कैलाश मानसरोवर के तीन मार्गों का आवागमन। यह सब सनातन के आधार हैं जिनको प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी ने वैश्विक आयाम तो दिया ही है, नई पीढ़ी को इस ओर मोड़ने और जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
(Prime Minister Narendra Modi birthday) देवभाषा संस्कृत और हिंदी को विश्व मे सम्मानित करने में भी उनकी भूमिका अद्भुत है। वह निश्चित रूप से सनातन की पुनर्स्थापना का महायुद्ध लड़ रहे हैं जिसमें सनातन शक्तियों का उन्हें भरपूर आशीर्वाद भी मिल रहा है। पिछले दिनों जब मां काली को लेकर देश में कुछ वर्गों ने जब अनर्गल प्रलाप शुरू किया। तो उस पीड़ा को पीएम मोदी भी नहीं सह सके। एक समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मन की पीड़ा भी बाहर आई है। आखिर वह भी नहीं सह सके शब्दों की यातना। नहीं सहन हो पाई शाब्दिक और कलात्मक अराजकता। नहीं सहन हो सका अनर्गल प्रलाप। नहीं सह सके सनातन शक्ति पुंज का अपमान।
पिछले आठ वर्षों में सत्ता के लोकतांत्रिक सर्वोच्च शिखर से सनातन की पुनर्स्थापना के उनके युद्ध को विश्व भी देख रहा और सनातन के सभी शक्ति केंद्र भी। आस्था उनकी निजी है और अपनी आस्था से डिगते उन्हें कभी नहीं देखा। काशी में भगवान विश्वनाथ की शरण में त्रिपुंड, अर्चन, मां गंगा की आरती, बाबा केदार की गुफा में तपस्या, कुम्भ में संगम स्नान, अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर की आधार शिला की स्थापना, सोमनाथ में अभषेक, भगवान शंकराचार्य की प्रतिमा स्थापना, भगवान रामानुजाचार्य की प्रतिमा स्थापना से लेकर विश्व के प्रत्येक शिखर सत्तासीन को भगवान श्रीकृष्ण की वाणी गीता भेंट करते उनका आत्मविश्वास अद्भुत होता है।
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सनातन के इस महायोद्धा ने अपनी निजी आस्था के साथ सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास का संकल्प अनेक बार दोहराया है। कर भी वैसा ही रहे हैं, लेकिन सनातन संस्कृति में सर्व शक्तिमान, सृष्टि की परम चेतना माँ काली को लेकर अतिशय साजिश होने लगी तो नरेंद्र मोदी खुद को रोक नही सके। आज स्वामी आत्मस्थानानंद की जन्मजयंती के अवसर पर आयोजित समारोह में प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि ये संपूर्ण जगत और सबकुछ मां काली की चेतना से व्याप्त है।
यही चेतना बंगाल की काली पूजा में दिखती है। यही चेतना बंगाल और पूरे भारत की आस्था में दिखती है। इसी चेतना के पुंज को स्वामी रामकृष्ण परमहंस ने अनुभूत किया था। पीएम मोदी ने कहा कि मां काली की चेतना पूरे भारत की आस्था में है।
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प्रधानमंत्री के ये शब्द आज सार्वजनिक हुए हैं तो इसका अर्थ और निहितार्थ भी समझना होगा। ये शब्द केवल राजनीतिक मुकाम पाने के लिए नहीं हैं। अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर पिछले 75 वर्षों में कला और साहित्य के माध्यम से जिस तरह से सनातन संस्कृति के मान विन्दुओं को रौंदा गया है उससे अब सामान्य सनातनी भी परिचित हो चुका है। नदियों से लेकर प्रकृति के सभी अवयवों का अनावश्यक दोहन और विनष्टीकरण का परिणाम पूरी मनुष्य जाति को भुगतना है। ऐसे में आज प्रधानमंत्री के इस संबोधन का आशय समझिए। सनातन की स्थापना का युद्ध वह सलीके से लड़ रहे हैं। यह उनका सपना और सतत प्रयास ही है जिससे भारत विश्वगुरु बन रहा है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)
(यह लेखक के निजी विचार हैं)