नई दिल्ली। आतंकवाद को लेकर चौतरफा घिरा पाकिस्तान की अब मंदिर तोड़े जाने की घटना को लेकर हर जगह फजीहत हो रही है। इसी कड़ी में पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर तोड़े जाने के मामले में एतिहासिक फैसला सुनाते हुए खैबर पख्तूनख्वा की प्रांतीय सरकार को आदेश दिया है कि वह करक जिले के तेरी गांव में कृष्ण द्वार मंदिर के अलावा श्री परमहंस जी महाराज की समाधि का दो हफ्ते में पुनर्निर्माण कराना सुनिश्चित करें। साथ ही मुख्य न्यायाधीश ने यह भी कहा कि मंदिर के पुनर्निर्माण में आने वाले खर्च की भरपाई तोड़फोड़ करने वालों से ही की जाए।

गौरतलब है कि गत 30 दिसंबर, 2020 को मंदिर में विस्तार कार्य का विरोध करते हुए कट्टरपंथी जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम पार्टी (फजल उर रहमान समूह) के सदस्यों के नेतृत्व में भीड़ मंदिर में तोड़फोड़ करते हुए आग लगा दी थी। यहीं पर एक हिंदू धार्मिक महंत श्री परमहंस जी महाराज की समाधि स्थली भी थी, जिसे कट्टरपंथियों ने ध्वस्त कर दिया था। इस घटना के बाद 350 से ज्यादा लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया गया था। इस मामले में अब तक सौ लोगों को गिरफ्तार भी किया जा चुका है।

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बताते चलें कि अल्पसंख्यक कानूनविद् रमेश कुमार ने बीते सप्ताह कराची में एक बैठक के दौरान मुख्य न्यायाधीश को मंदिर तोड़े जाने की जानकारी दी थी। इसी के आधार पर मुख्य न्यायाधीश ने यह आदेश दिया है। मुख्य न्यायाधीश ने पख्तूनख्वा सरकार और औकाफ विभाग को आदेश दिया है कि मंदिर निर्माण कार्य तुरंत शुरू कराया जाए और दो सप्ताह में इसकी प्रगति रिपोर्ट पेश की जाए। वहीं मंदिर में तोड़फोड़ किए जाने की घटना पर मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय के नेताओं की ओर से इसकी कड़ी निंदा की गई है। मंदिर में तोड़फोड़ की घटना का संज्ञान लेते हुए भारत ने भी अपना विरोध दर्ज कराया है।

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