Manipur Violence: मणिपुर में आदिवासियों और बहुसंख्यक मेइती समुदाय के बीच हिंसा को देखते हुए राज्य सरकार ने सख्त आदेश दिए हैं। तमाम अपील के बाद राज्य में हिंसा थमता न देख राज्य सरकार ने दंगाइयों को देखते ही गोली मारने का आदेश जारी किया है। राज्यपाल की तरफ से यह आदेश जारी किया गया है, जिसमें कहा गया है कि समझाने और चेतावनी के बावजूद स्थिति नियंत्रण में नहीं आने पर उपद्रवियों को देखते ही गोली मारने की कार्रवाई की जा सकती है। मणिपुर के राज्यपाल ने सभी जिलाधिकारियों, उप-विभागीय मजिस्ट्रेटों को यह आदेश जारी किया है।

राज्य सरकार के आयुक्त (गृह) की तरफ से हस्ताक्षरित अधिसूचना दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 के प्रावधानों के तहत जारी की गई है। बता दें कि राज्य की आबादी में 53 प्रतिशत हिस्सा रखने वाले गैर-आदिवासी मेइती समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) के दर्जे की मांग के खिलाफ चुराचांदपुर जिले के तोरबंग इलाके में ‘ऑल ट्राइबल स्टूडेंट यूनियन मणिपुर’ (एटीएसयूएम) की ओर से बुलाए गए ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के दौरान बुधवार को हिंसा भड़क गई। राज्य के कई जिलों में हिंसक आगजनी के साथ हमले और जवाबी हमले हो रहे हैं।

Manipur Violence

हालत इतना बेकाबू हो गया है कि हिंसा प्रभावित इलाकों से लोगों को सुरक्षित निकाला जा रहा है। अब तक करीब 9000 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। हिंसा पर काबू पाने के लिए सेना और असम राइफल्स के 55 ‘कॉलम’ को तैनात किया गया है। सेना और असम राइफल्स ने गुरुवार को चुराचांदपुर और इंफाल घाटी के कई इलाकों में फ्लैग मार्च किया और काक्चिंग जिले के सुगनु में भी फ्लैग मार्च किया गया।

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गौरतलब है कि राज्य के भयवह स्थिति को देखते हुए मैरी काम ने मुख्यमंत्री से मणिपुर को बचाने की गुहार लगाई है। वहीं केंद्र सरकार मणिपुर को लेकर गंभीर हो गई है और स्थिति से निपटने के लिए हर सहयोग का भरोसा दिया है।

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