प्रकाश सिंह
लखनऊ: भठिया सामूहिक दुष्कर्म कांड की त्वरित, सक्षम और निष्पक्ष विवेचना हो, आरोपियों और संदेह के घेरे में आए लोगों का नार्को–डीएनए टेस्ट हो ताकि सच का खुलासा हो जाय। कोई भी कानूनी कार्रवाई गुण–दोष के आधार पर होगी, अन्याय किसी के साथ नहीं होने दिया जाएगा। यह बातें भठिया सामूहिक दुष्कर्म कांड में दो आरोपियों चंदन और श्रवण की हुई गिरफ्तारी और पांच सितंबर को उनको जेल भेज जाने पर हैदरगढ़ के विधायक बैजनाथ रावत ने कही। बताते चलें कि इस प्रकरण पर पहले स्थानीय दरियाबाद विधानसभा से विधायक सतीश चंद्र शर्मा से बात करना के कोशिश हुई थी, लेकिन उनका फोन बंद होने पर बगल की विधानसभा हैदरगढ़ से विधायक बैजनाथ रावत से विस्तृत बातचीत हुई। वैसे भी भठिया गांव का कुछ हिस्सा दरियाबाद और कुछ हैदरगढ़ विधानसभा में पड़ता हैं।
बताते चलें कि भटिया गांव की एक युवती ने 15 अगस्त को एक बच्चे को जन्म दिया है, जिसके लिए उसके पिता ने गांव में हुए सामूहिक दुष्कर्म को जिम्मेदार बताया है। इस सिलसिले में उनकी ओर से स्थानीय असंद्रा थाने में प्रथम सूचना रिपोर्ट पंजीकृत कराई गई, जिसमें चंदन–श्रवण के अलावा उनके तीन अन्य भाई एवं उनकी माता और गांव के ही चंद्र प्रकाश तिवारी को आरोपी बनाया गया है। इस सिलसिले में इन पांचों भाइयों में सबसे बड़े विजय कुमार को कथित पीड़िता के पिता को धमकी देने के आरोप में 27 अगस्त को धारा 151/107/116 में चालान कर दिया गया था, जबकि विजय कुमार को पुलिस ने घर से बुलाकर 23 अगस्त से ही थाने में बैठा रखा था।
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पुलिस द्वारा भठिया सामूहिक दुष्कर्म कांड को लेकर क्षेत्र में तरह–तरह की चर्चा हो रही है। लोग दबे स्वर में कह रहे है कि क्या पुलिस ने कथित दुष्कर्म पीड़िता के पिता के द्वारा प्रस्तुत प्रार्थनापत्र में वर्णित तथ्यों की जांच–पड़ताल किया है? यदि पुलिस ने प्रार्थनापत्र में दिए गए तथ्यों का सामान्य अवलोकन भी किया होता तो उक्त महिला के दो बेटे श्री कुमार और मलखान, जो कि इंदौर में मजदूरी करते है, उनके खिलाफ भी प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज न करती। इसके अलावा जिस विजय कुमार को आरोपी बनाया गया वह तो लखनऊ में रहकर मजदूरी करता है। इसके साथ–साथ कथित नाबालिग बलात्कार पीड़िता के पिता ने आरोप लगाया है कि उनके गांव के चंद्र प्रकाश तिवारी ने अपने घर पर उनकी बेटी को बंधक बनाकर 6–7 महीने तक स्वयं और चंदन तथा उसके चारों भाइयों के साथ दुष्कर्म किया।
सोचने वाली बात यह है कि एक पिता को यह भी नहीं मालूम हैं कि उसकी पुत्री छः महीने बंधक रही या सात महीने, यह अंतर एक या दो दिन का नहीं बल्कि पूरे एक महीने का है, इससे उसके आरोपों की गंभीरता का पता चलता है। इसके अलावा जब छह–सात महीने तक दुष्कर्म होता रहा तब उक्त कथित नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता के पिता ने पुलिस में शिकायत क्यों नहीं दर्ज कराई? इससे भी बड़ा सवाल यह है कि कथित नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता की चंद्र प्रकाश तिवारी के घर से जब रिहाई हुई तब उसके पिता को कथित दुष्कर्मियों के खिलाफ प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करानी चाहिए या 28 जून को जबरिया 10 साल के चंदन से उसका विवाह करा देना चाहिए। ऐसे तमाम सवाल है जो भठिया सामूहिक दुष्कर्म कांड को लेकर असंद्रा थाने की पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई पर सवाल उठा रहे हैं।
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