राघवेंद्र प्रसाद मिश्र

Lok Sabha Elections 2024: भाजपा ने उत्तर प्रदेश में 80 सीटों की जीत के लक्ष्य के साथ हर सीट और चेहरे पर मंथन शुरू कर दिया है। परफॉर्मेंस के आधार पर कई चेहरों को बदलने के आसार हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अतिशय प्रभाव वाली गोरखपुर और बस्ती मंडल की 9 सीटों पर सबकी नजर है। गोरखपुर से बिलकुल सटी हुई देवरिया और कुशीनगर सीटों को लेकर बहुत गंभीर स्थिति दिख रही है। जातीय समीकरण और उपलब्धियों के आधार पर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। डुमरियागंज को लेकर भी यही स्थिति है।

बता दें कि इस क्षेत्र में गोरखपुर जिले की सदर और बांसगांव लोकसभा सीटें हैं। इनके अलावा महाराजगंज, कुशीनगर की पडरौना, देवरिया, सलेमपुर, बस्ती, खलीलाबाद और सिद्धार्थनगर जिले की डुमरियागंज सीट आती है। यह पूरा क्षेत्र मुख्यमंत्री के दबदबे वाला है। इनमें से बांसगांव सीट सुरक्षित है और यहां से कमलेश पासवान सांसद हैं। मुख्यमंत्री की अपनी पारंपरिक सीट गोरखपुर से रविकिशन शुक्ल हैं। देवरिया से भाजपा के पूर्व अध्यक्ष रमापति राम त्रिपाठी हैं। डुमरियागंज से जगदंबिका पाल और बस्ती से हरीश द्विवेदी हैं। महाराजगंज से सांसद पंकज चौधरी इस समय केंद्र सरकार में मंत्री हैं। इन 9 सीटों की सबसे बड़ी विशेषता इनके जातीय आंकड़े हैं।

इन सीटों पर बहारी बनाम स्थानीय बना मुद्दा

कुशीनगर, देवरिया और डुमरियागंज को ब्राह्मण बाहुल्य मना जाता है। इसी आधार पर देवरिया में लगातार बाहरी लोग आकर लड़ते रहे हैं। देवरिया में इस बार बाहरी एक मुद्दा भी बन चुका है और इसीलिए वहां एक असंतोष का स्वर भी सुनने को मिल रहा है। कुशीनगर में यद्यपि कांग्रेस से आए कद्दावर नेता आरपीएन सिंह का नाम उछल रहा है, लेकिन जातीय आंकड़े इस चर्चा को अलग स्वरूप दे रहे हैं। डुमरियागंज में बदलाव की आहट है, क्योंकि जातीय आंकड़े और उपलब्धियां यहां का परिदृश्य बदल रही हैं। देवरिया की स्थिति बिलकुल अलग दिख रही है। यहां से यद्यपि रमापति राम त्रिपाठी एक कद्दावर प्रतिनिधि हैं, लेकिन उन पर बाहरी होने का आरोप होने से इस बार पार्टी को विकल्प पर ध्यान देना की जरूरत दिख रही है।

डॉ. अजय मणि त्रिपाठी के नाम की चर्चा

यहां भाजपा के मूल कैडर और कार्यकर्ता के रूप में कई नाम उपलब्ध भी हैं, जिनमें से गोरखपुर क्षेत्र के बौद्धिक प्रमुख के रूप में सक्रिय डॉक्टर अजय मणि त्रिपाठी की चर्चा तेज है। इस जिले की पांच विधान सभा सीटों के साथ ही डॉक्टर त्रिपाठी की पकड़ पड़ोस की सीटों पर भी बहुत गंभीर मानी जाती है। ऐसे में यदि डॉक्टर रमापति राम त्रिपाठी को बदला जाता है, तो स्थानीय होने के कारण डॉक्टर अजय मणि गंभीर विकल्प स्वतः बन सकते हैं। ऐसा माना जाता है कि संघ, भाजपा और संगठन में डॉक्टर अजय मणि काफी महत्व रखते हैं और उनके नाम पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भी सहमति हो सकती है।

बाहरी वाले आरोप से से मुक्त हो सकती है बीजेपी

इससे देवरिया में 1996 से 2019 तक बाहरी वाले आरोप से भी पार्टी मुक्त हो सकती है, क्योंकि डॉक्टर अजय मणि देवरिया के ही निवासी हैं और वहां के एक अतिप्रतिष्ठित इंटर कॉलेज के प्राचार्य होने के नाते सामान्य लोगों में भी उनकी गंभीर छवि है। संगठन के लिए पूर्ण रूप से समर्पित अजय मणि को पार्टी यहां विकल्प बना कर इस सीट को सुरक्षित कर सकती है।

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अलग है सलेमपुर सीट का समीकरण

इसी जिले की सलेमपुर सीट पर भी पार्टी की नजर है। इस सीट का एक क्षेत्र बलिया जिले का हिस्सा है। यहां का जातीय और सामाजिक समीकरण अलग प्रकार का है। इस सीट को भी भाजपा किसी भी तरह अपने पास ही सुरक्षित रखना चाहेगी। ऐसे में यहां के चेहरे पर भी विचार होना लाजिमी है। यहां से अभी रविंद्र कुशवाहा सांसद हैं। इस सीट को लेकर संशय की स्थिति इसलिए है, क्योंकि यह एनडीए गठबंधन के किसी सहयोगी के हिस्से भी जा सकती है। गोरखपुर सीट मुख्यमंत्री की अपनी पारंपरिक सीट है। वहां कोई संशय है ही नहीं।

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