तुम्हारी भीड़ बन लूंगी
मुझे तुम भीड़ कर लेना।
मगर नजदीक घर के तुम।
अपना नीड़ कर लेना।।
सुना था जब के तुम आए
सभी को प्यार से देखा।
कहीं सत्कार से देखा।
कहीं आभार से देखा।।
तुम्हारे पांव छूकर भी
लगे हैं पार कितने ही।
अगर तुम हाथ थामो तो।
न जाने क्या से क्या होगा??
चलो अब साथ आ जाओ
नहीं तुम हमको भरमाओ।
दिखा कर रूप की छाया।
हमें भी राह दिखलाओ।।
नहीं हम खोने वाले हैं
नहीं हम जाने वाले हैं।
तुम्हारे पांव धोने हैं।
तनिक मेरे करीब आओ।।
कभी तुम मित्र कर लेना
कभी तुम शत्रु कर लेना।
मगर तुम सामने रखना।
किसी भी हाल में रखना।।
हमें तो आस बस तेरी
जो चाहे सो हमें करना।
हमें जीना तुम्हीं से है।
तुम्हीं पे हमको है मरना।।
– विनीता
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