गुरु पूर्णिमा अषाढ़ी पावन,
है व्यास पूर्णिमा कहलाये।
प्रकृति हँसे हरियाली आए,
जीवन का सच बतलाये।।

हरियाली तीज झूले झूलें,
सावन माह मल्हारें गायें।
वृक्षारोपण करें माह भर,
रक्षाबन्धन खूब मनायें।।

हरिशंकरी के हैं तीन वृक्ष,
बरगद पाकर औ पीपल।
एक थाले में साथ लगाएं,
सबसे पायें छाया शीतल।।

इनसे बने भू जल कलश,
एक धर्मशाला देई बनाय।
भंडारा नित चले इन्हीं से,
गायें सब जीव-जंतु हर्षाये।।

आक्सीजन की ये फैक्ट्री,
जीवन का रक्षण करती।
पर्यावरण सुरक्षित रहता,
धरती का ताप है हरती।।

आओ हम स्वजन मिल,
हरियाली माह मनाएं।
वृक्षारोपण करें सभी ज़न,
धरती को खूब सजाएं।।

– बृजेंद्र

इसे भी पढ़ें: संघर्षों में भी जो प्रसन्न

इसे भी पढ़ें: चउदा ईंटन का बोझ

Spread the news