Kahani: एक व्यक्ति ने नारदमुनि से पूछा, नारदजी आप तो परम् ज्ञानी है कृपया बताएं मेरे भाग्य में कितना धन है। नारदमुनि ने कहा- वत्स यह मैं भगवान विष्णु से पूछकर तुम्हें कल बताऊंगा। अगले दिन उस व्यक्ति के पास पहुँच कर नारदमुनि ने कहा- वत्स भगवान विष्णु ने बताया है कि 100 रुपये प्रतिदिन तुम्हारे भाग्य में है।

व्यक्ति बहुत खुश रहने लगा। उसकी जरूरते 100 रुपये में पूरी हो जाती थी। एक दिन उसके मित्र ने कहा, मैं तुम्हारे सादगी भरे जीवन और तुम्हें खुश देखकर बहुत प्रभावित हुआ हूं और अपनी बहन का विवाह तुमसे करना चाहता हूँ। व्यक्ति ने कहा कि मित्र मेरी कमाई 100 रुपये प्रतिदिन की है इसको ध्यान में रखना। इसी में से ही गुजर बसर करना पड़ेगा तुम्हारी बहन को। मित्र ने कहा, कोई बात नहीं मुझे रिश्ता मंजूर है।

विवाह के अगले दिन से उस व्यक्ति की कमाई 1000 रुपये प्रतिदिन होने लगी। उसने नारदमुनि को बुलाया कि हे मुनिवर मेरे भाग्य में तो केवल 100 रुपये लिखे है फिर 1000 रुपये क्यों मिल रहे हैं। नारदमुनि ने कहा- तुम्हारा विवाह हुआ है क्या। उसने कहा, हाँ हुआ है। तो यह तुमको 900 रुपये उसके भाग्य के मिल रहे है। इसको जोड़ना शुरू करो तुम्हारे ग्रहस्थ जीवन में काम आएंगे। जब उसकी पत्नी गर्भवती हुई तो उसकी कमाई 1000 से बढ़कर 2000 रुपये होने लगी।

इसे भी पढ़ें: जीवन में परेशानियां तो लगी ही रहेंगी

फिर उसने नारदमुनि को बुलाया और कहा है मुनिवर मेरी और मेरी पत्नी के भाग्य के 1000 रुपये मिल रहे थे, लेकिन अभी 2000 रुपये क्यों मिल रहे हैं। क्या मैं कोई अपराध कर रहा हूँ। मुनिवर ने कहा- यह तेरे बच्चे के भाग्य के 1000 रुपये मिल रहे हैं। हर मनुष्य को उसका प्रारब्ध (भाग्य) मिलता है। किसके भाग्य से घर में धन दौलत आती है हमको नहीं पता। लेकिन मनुष्य अहंकार करता है कि मैंने बनाया, मैंने कमाया, मेरा है, मैं कमा रहा हूँ, मेरी वजह से हो रहा है। हे प्राणी तुझे नहीं पता तू किसके भाग्य का खा कमा रहा है।

इसे भी पढ़ें: असली वारिश

Spread the news