Holi 2022: हिंदू धर्म में होली का विशेष महत्व है, यह ऐसा पर्व है जो सबको एक रंग में रंगने का प्रयास करता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार होलिका दहन फाल्गुन मास (Phalguna Month) की पूर्णिमा तिथि (Purnima Tithi) को किया जाता है। होलिका दहन के दिन को कुछ जगहों पर छोटी होली कहा जाता है। होलिका दहन केे अगले दिन रंग खेलकर होली का त्योहार मनाया जाता है, जिसमें रंग-अबीर लगाकर समाज में भाईचारा का संदेश दिया जाता है। भद्राकाल के चलते इस बार होलिका दहन के शुभ समय को लेकर लोग संशय देखा जा रहा है। प्रतिपदा तिथि को लेकर होली की सही तारीख को लेकर लोगों में भ्रम की स्थिति भी बनी हुई है। ऐसे में लोगों के इस उलझन को दूर करने के लिए यहां हम ज्योतिषियों के अनुसार होलिका दहन का शुभ समय के बारे में हम जानकारी दे रहे हैं।
ज्योतिष के अनुसार इस बार पूर्णिमा तिथि दो दिन पड़ रही है। इसके साथ ही पूर्णिमा तिथि पर भद्राकाल होने के कारण लोगों में होली और होलिका दहन को लेकर संशय की स्थिति बनी हुई है। हिंदू धर्म ग्रन्थों के मुताबिक, होलिका दहन (Holika Dahan) पूर्णिमा तिथि में सूर्यास्त के बाद करना चाहिए। लेकिन इस दौरान अगर भद्राकाल (Bhadra Kaal) हो तो होलिका दहन नहीं करना चाहिए। ऐसे में होलिका दहन के लिए भद्राकाल के समाप्त होने का इंतजार करना चाहिए। धर्म ग्रंथों के मुताबिक होलिका दहन के लिए भद्रामुक्त पूर्णिमा तिथि का होना जरूरी है। शास्त्रों में भद्राकाल को अशुभ माना गया है। ऐसी मान्यता रही है कि भद्राकाल में कोई शुभ कार्य नहीं किया जाता। इस दौरान किया गया कोई भी कार्य सफल नहीं होता और उसके अशुभ परिणाम आते हैं।
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त (Holika Dahan 2022 Shubh Muhurat)
ज्योतिष जानकारों अनुसार पूर्णिमा तिथि 17 मार्च 2022 को दोपहर 1:29 बजे से शुरू होकर 18 मार्च दोपहर 12:52 मिनट तक रहेगी। वहीं 17 मार्च को ही 1:20 बजे से भद्राकाल शुरू हो जाएगा और देर रात 12:57 बजे तक रहेगा। ऐसे में भद्राकाल होने के कारण शाम के समय होलिका दहन नहीं किया जा सकता। होलिका दहन के लिए रात का समय सही माना गया है, ऐसे में 12:57 बजे के बाद भद्राकाल समाप्त होने पर होलिका दहन किया जा सकता है। जानकारों के मुताबिक रात के समय होलिका दहन करने के लिए शुभ समय 12:58 बजे से लेकर रात 2:12 बजे तक है। इसके बाद ब्रह्म मुहूर्त की शुरुआत हो जाएगी।
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जानें सही तारीख
इस बार होली कब है इस बात को लेकर भी इस बार लोगों के मन में संशय बना हुआ है। इस बार पूर्णिमा तिथि 17से शुरू होकर 18 मार्च को दोपहर 12:52 मिनट तक रहेगी। इसके उपरांत प्रतिपदा तिथि लग जाएगी। प्रतिपदा तिथि 19 मार्च को दोपहर 12:13 बजे तक रहेगी। रंगों वाली होली प्रतिपदा तिथि में ही खेली जाती है। ऐसे में अधिकत्तर लोग रंगोत्सव के लिए 18 मार्च को सही तिथि मान रहे हैं। वहीं कुछ लोग उदया तिथि को मानते हुए 19 मार्च को भी होली मान रहे है। इस बारे में ज्योतिष विशेषज्ञ अविनाश पंडित का कहना हैं कि पूर्णिमा तिथि में चंद्रमा का महत्व होता है, इसलिए इसमें उदय काल का महत्व नहीं माना जा सकता। ऐसे में पूर्णिमा तिथि 17 मार्च को ही मान्य होगी। और 17 मार्च की रात को होलिका दहन के बाद 18 मार्च को प्रतिपदा तिथि में रंगों की होली खेली जा सकती है। वहीं कुछ जगहों पर 18 और 19 मार्च को दोनों दिन रंगों की होली जाने की उम्मीद है।
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