नई दिल्ली। कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का गुस्सा अब ठंडा पड़ता दिखाई दे रहा है। धीरे धीरे करके प्रदर्शनकारी किसान अब अपने घर को लौटने लगे हैं। वहीं उनके साथ खड़े होने की बात करने वाले नेता भी अब शांत दिखाई दे रहे हैं। ऐसे में यह लगने लगा है कि कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन अब ज्यादा दिनों तक नहीं चल पाएगा। रेल पटरियों के खिलाफ धरना दे रहे किसानों के एक समूह ने 169 दिनों बाद आज अपने आंदोलन को समाप्त कर दिया है। बता दें कि रेल पटरियों पर किसानों के कब्जे के चलते रेलगाड़ियों का परिचालन भी स्थगित चल रहा था व्यापारियों के साथ-साथ किसानों का भी नुकसान हो रहा था।
आंदोलन समाप्त करने के फैसले पर किसान मजदूर संघर्ष समिति के नेता सविंदर सिंह ने कहा कि उन्होंने सभी प्रदर्शनकारी किसान संगठनों के साथ बैठक के बाद यह निर्णय लिया है। उनका कहना है कि अमृतसर-दिल्ली मार्ग पर देवीदासपुरा में रेल जाम खत्म करने का फैसला किया गया है। ज्ञात हो कि जंडियाला स्टेशन के पास देवीदासपुरा, अमृतसर रेलवे स्टेशन से करीब 25 किलोमीटर की दूरी पर है। उन्होंने कहा कि प्रदर्शनकारी किसान केवल यात्रि गाड़ी को रोक रहे थे। लेकिन सरकार ने मालगाड़ियों का भी परिचालन रोक दिया जिससे व्यवसायियों-उद्योगपतियों के साथ किसानों का भी काफी नुकसान हुआ।
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वर्तमान परिस्थिति को देखते हुए किसानों ने सर्वसम्मति से यहां आंदोलन समाप्त करने का फैसला किया है। इस संदर्भ में रेल अधिकारियों का कहना है कि किसानों के यहां आंदोलन समाप्त करने की बात सामने आने के साथ ही रेलगाड़ियों की सामान्य आवाजाही शुरू करने पर विचार किया जा रहा है। हालात ठीक रहे तो अगले कुछ दिनों में रेलगाड़ियों का परिचालन शुरू कर दिया जाएगा। फिलहाल नए कृषि कानूनों के विरोध में किसानों का गतिरोध अभी भी बरकरार है। दिल्ली हिंसा के बाद किसान नेता राकेश टिकैत ने बैकफुट पर आए किसान आंदोलन को जिस हिसाब से संभाला है, उससे वह किसानों के बड़े नेता बन गए हैं। केंद्र सरकार के खिलाफ उनका रुख अभी भी आक्रामक बना हुआ है। इससे किसान आंदोलन खत्म होगा या फिर लंबा खिंचेगा इस पर कुछ कह पाना अभी मुश्किल है।
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