नई दिल्ली। अच्छी सेहत की कामना हर किसी की होती है। नशीले पदार्थों का सेवन करने वाला भी अच्छी सेहत की ख्वाहिश रखता है तो वहीं स्वस्थ्य रहने के लिए लोग खानपान के साथ योग-एक्सरसाइज भी करते हैं। लेकिन बढ़ापा आने पर सबकी स्थिति एक जैसी हो जाती है। देश में बुजुर्गों की सेहत को लेकर किए गए एक सर्वे में बड़ा खुलासा हुआ है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अध्ययन में पता चला है कि 60 साल से अधिक उम्र के करीब 7.5 करोड़ बुजुर्ग किसी न किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं। लॉन्गिट्यूडनल एजिंग स्टडी इन इंडिया ने ऐसे आंकड़ों को प्रस्तुत किया है। बताया जा रहा है कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह सर्वे इसलिए कराया है, ताकि केंद्र और राज्य सरकार की तरफ से बुजुर्गों के लिए बनने वाली सरकारी योजनाओं में प्राथमिकता तय करने में सुविधा मिल सके।
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गौरतलब है कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने वर्ष 2017-18 में बुजुर्गों पर दुनिया का सबसे बड़ा सर्वें किया, जिसका पहला परिणाम कल जारी किया गया है। सर्वे के अनुसार कई चिंताजनक बातें सामने आई हैं। देश के करीब 27 प्रतिशत बुजुर्ग की आबादी कई गंभीर बीमारियों से ग्रस्त है। जबकि 40 प्रतिशत के करीब बुजुर्ग किसी न किसी रूप से अपंग हैं। वहीं 20 प्रतिशत बुजुर्गों को मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्या से गुजरना पड़ रहा है। मंत्रालय के इस सर्वे के पहले भाग में 45 वर्ष और इससे अधिक उम्र के 72,250 लोगों के बारे में जानकारी एकत्रित किए गए। इनमें पति-पत्नी दोनों को शामिल किया गया है। इनमें 31,464 लोगों की उम्र 60 वर्ष या इससे अधिक है, जबकि 6,749 बुजुर्ग 75 वर्ष या अधिक उम्र के हैं। जबकि राज्य स्तर के नजरिए से देखें तो सर्वे में सिक्किम को छोड़कर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को शामिल किया गया है।
इस सर्वे को लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्ष वर्धन ने बताया कि यह भारत का पहला और दुनिया का अब तक का सबसे बड़ा लॉन्गिट्यूडनल डेटाबेस है जो बुजुर्गों के लिए बनाई जानी वाली सरकारी नीतियों और कार्यक्रमों को तैयार करने में मदद करेगा। सर्वे के इन आंकड़ों से बुजुर्गों की सामाजिक, शारीरिक, मानसिक और आर्थिक सेहत का ख्याल रखने के लिए बनने वाली योजनाओं की दिशा तय करने में सहायक होगा। वर्ष 2011 की जनगणना पर गौर करें तो देश की कुल आबादी के 8.6 प्रतिशत 60 वर्ष से अधिक की उम्र के बुजुर्ग थे। देश में इनकी कुल आबादी 10.30 करोड़ थी।
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