बाराबंकी। बच्चों के अधिकारों के लिए राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग लगातार प्रयासरत है। इसी क्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देशानुसार बाल आयोग की तरफ से बाराबंकी में जन सुनवाई कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसमें बाल आयोग की दो सदस्यीय कमेटी डॉ. प्रीति वर्मा, डॉ. शुचिता चतुर्वेदी ने लोगों की समस्याएं सुनीं। इस दौरान बाल व शिशु से संबंधित कई मामले संज्ञान में आए जिनका बाल आयोग के सदस्यों ने मौके पर ही निस्तारण किया। इतना ही नहीं इस दौरान लोगों को बच्चों के अधिकारों के प्रति जागरूक भी किया गया।

बाल आयोग की सदस्य डॉ. प्रीति वर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि बाल आयोग की तरफ से ऐसा जनता दरबार पहली बार लगाया गया है, जिसकी शुरूआत बाराबंकी जिले से की गई। अब इस तरह के जनता दरबार का आयोजन पूरे प्रदेश में जिले बार लगाया जाएगा। वहीँ पहली बार लगे इस जनता दरबार में कई गंभीर मामलों का आयोग के सदस्यों ने मौके पर ही निस्ताण भी किया। इस दौरान जनता दरबार में बाल आयोग संग ड्रग इंस्पेक्टर, बेसिक शिक्षा अधिकारी, अल्पसंख्यक विभाग के अधिकारी, श्रम प्रवर्तन के अधिकारी सहित तमाम विभागों के अधिकारी व सीडब्ल्यूसी सदस्य एवं गैर सरकारी संस्थानों के सदस्य मौजूद रहे।

ऐसे मामले आये सामने

केस 1

एक महिला के पति की किडनी खराब है, जिसका एक बच्चा भी है। इस महिला के पति का इलाज आयुषमान योजना के तहत चल रहा है, लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद खराब होने से वह अपने बच्चे के लालन-पालन में दिक्कत आ रही है। इसको लेकर बाल आयोग के सदस्यों ने जिला पूर्ति अधिकारी को परिवार का गरीबी रेखा का राशन कार्ड बनवाने के लिए, बच्चे स्पॉन्सरशिप योजना का लाभ दिलाने के लिए, आवास योजना, उज्ज्वला योजना व शौचालय बनाए जाने के लिए संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया ।

केस 2

एक व्यक्ति को चार वर्ष पहले नाले के पास एक नवजात बच्ची मिली थी, जिसको लेकर वह घर आया था। जानकारी के अभाव में बच्ची गैरकानूनी तौर से उस व्यक्ति के पास रह रही है। बच्ची की लगभग 4 बर्ष हो चुकी है। लेकिन शारीरिक रूप से वह अभी 2 वर्ष की लगती है। बच्चे के भविष्य को देखते हुए व उसकी आगे की शिक्षा दीक्षा के लिए बच्चे का चिकित्सकीय जांच कर शिशु गृह में रखने के लिए बाल आयोग के सदस्यों की तरफ से निर्देशित किया गया।

केस 3

वहीं दरबार में एक बुजुर्ग का मामला आया, जिसका बेटा और बहू दोनों की मौत हो गयी है। उस बुजुर्ग के दो पोते हैं, जिसमें एक की उम्र 7 और दूसरे की 12 वर्ष है, लेकिन बुजुर्ग की आर्थिक हालत ठीक न होने के कारण उसके निवेदन पर उसके दोनों पोतों को बाल गृह में भेजे जाने के लिए निर्देशित किया गया, जिससे दोनों बच्चों की शिक्षा-दीक्षा सही से हो सके।

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