संजय तिवारी
Census 2022: आंकड़ों में दिखता है। (indian population) संस्कृत की लोकप्रियता बहुत कम है। इसीलिए सरकारें इस भाषा पर ध्यान नहीं देतीं। यह आंकड़ा आता है जनगणना (Census 2022) के फॉर्म से। यह फॉर्म तब भरा जाता है जब कोई सरकारी कर्मचारी आपके घर आ कर भरवाता है। इसमें एक अहम प्रश्न होता है कि आपकी मातृभाषा क्या है। आपको कौन कौन सी भाषाएं आती हैं। सामान्य तौर पर एक मातृ भाषा और हिंदी , अंग्रेजी भरवाकर सभी अपना दायित्व पूरा कर लेते हैं।
मांगलिक अवसर
अब यह विचार करने वाली बात है कि भारत (indian population) में 80 प्रतिशत से ज्यादा आबादी ऐसी है जिसके दैनिक जीवन में प्रतिदिन किसी न किसी रूप में संस्कृत का प्रयोग अवश्य होता है। वह चाहे सुबह की पूजा हो, किसी मंदिर में दर्शन हो या घर परिवार में कोई भी मांगलिक अवसर। सभी हिन्दू परिवारों में प्रायः सत्यनारायण या श्रीमद्भागवत की कथा अवश्य होती है। हर हिन्दू इसको सुनता भी है और समझता भी है। इसके बाद भी जनगणना (Census 2022) के फॉर्म (indian population) में हम लोग भरते क्यों नहीं।
सामान्य गायत्री मंत्र
संस्कृत के बिना हमारा कोई दिन नही बीतता। सामान्य गायत्री मंत्र और पूजा के अनेक मंत्र अधिकांश हिंदुओ को वैसे भी कंठस्थ हैं। फिर भी जब जनगणना (Census 2022) के आंकड़े में से भाषा के आंकड़े बाहर आते हैं तो उसमें अंग्रेजी और अन्य भाषाओं की संख्यात्मक आंकड़े तो बहुत बड़े निकल कर आते हैं लेकिन संस्कृत बोलने, जानने और समझने वालों की संख्या इतनी कम आती है कि इस महान मूल भाषा के बारे में सरकारी बजट में कोई जगह ही नहीं मिलती।
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संस्कृत के साथ साथ संस्कृति की भी दुर्गति
संस्कृत को लेकर जाने अनजाने में हमारे द्वारा की जाने वाली उपेक्षा ने संस्कृत के साथ साथ संस्कृति की भी दुर्गति करके रख दी है। भारतीयता और सनातन जीवन संस्कृति की आधार भाषा के लिए बहुत सतर्क हो जाने की आवश्यकता है। इस बार 2022 की जनगणना (indian population) शुरू होने वाली है। सभी को अभी से सतर्क हो जाना चाहिए। जनगणना के फॉर्म में संस्कृत का उल्लेख अवश्य कीजियेगा। भारत की विशाल जनसंख्या द्वारा बोली, लिखी, समझी और प्रयोग की जाने वाली देवभाषा को उसका वास्तविक सम्मान अवश्य मिले।
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