मुंबई । भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) में आयोजित एक कार्यक्रम में भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर माइकल डी पात्रा ने कहा कि देश की मौद्रिक नीति, डिजाइन के अनुसार, वित्तीय रूप से समावेशी है और इस रणनीति का परिणाम नीतिगत प्रभावशीलता और कल्याण को अधिकतम करना होगा। श्री पात्रा ने आगे कहा कि वित्तीय समावेशन बढ़ गया है, मार्च 2019 में आरबीआई के वित्तीय समावेशन सूचकांक का स्तर 49.9 से बढ़कर मार्च 2020 में 53.1 और मार्च 2021 में 53.9 हो गया।
आगे उन्होंने कहा : “सबूत अभी भी बन रहे हैं और इसके विश्लेषण से मजबूत निष्कर्ष समय से पहले हो सकते हैं, लेकिन भारत की मौद्रिक नीति, डिजाइन के अनुसार, वित्तीय रूप से समावेशी है और यह भविष्य में इस रणनीति का लाभ उठाएगी। उन्होंने कहा कि आर्थिक रूप से शामिल सभी उपभोक्ताओं के साथ एक अर्थव्यवस्था कम खपत अस्थिरता के कारण कम उत्पादन अस्थिरता का अनुभव करने की उम्मीद करेगी। आर्थिक रूप से बहिष्कृत उपभोक्ताओं वाली अर्थव्यवस्था में, मौद्रिक नीति को उत्पादन को स्थिर करने के लिए अधिक भार देना पड़ता है।
पात्रा ने कहा कि भारत में वित्तीय समावेशन के और भी बढ़ने से उत्पादन में उतार-चढ़ाव के स्रोत के रूप में खपत में उतार-चढ़ाव के कम होने की उम्मीद की जा सकती है।
उन्होंने कहा कि यह मौद्रिक नीति को मुद्रास्फीति की अस्थिरता को कम करने पर ध्यान केंद्रित करने के लिए हेडरूम प्रदान करेगा, जो सभी के लिए कल्याणकारी लाभ लाता है।