लंदन। विषम परिस्थितियों में खुद को जिंदा रखने के लिए कोबरा जैसे जहरीले सांपों का खून पीने और जिंदा बिच्छुओं को निवाला बनाने वाले सैनिकों के लिए चेतावनी जारी किया गया है। पशुओं के हित के लिए काम करने वाली संस्था पेटा ने ब्रिटेन के रक्षा मंत्री को पत्र लिखकर चेताया है कि कोरोना वायरस के खतरे के चलते इस तरह की प्रथा से सांपों और अन्य जीवों में कोविड-19 जैसे वायरस और जानवरों से इंसान के शरीर में प्रवेश कर सकते हैं। बता दें कि हर वर्ष थाइलैंड में होने वाले कोबरा गोल्ड मिलिट्री ड्रिल में दुनियाभर से सैनिक हिस्सा लेने आते हैं। इस दौरान ये सैनिक विषम परिस्थितियों में खुद को जिंदा रखने के लिए जिंदा जानवरों का शिकार करने और उन्हें कच्चा खा जाने का अभ्यास करते हैं।
बीमारियों का है खतरा
इस अभ्यास के दौरान सैनिक जहरीले सांपों का खून पीते हैं, बिच्छू या छिपकली को जहरीले जीव को जिंदा खाने का अभ्यास करते हैं। ऐसे में पेटा ने चेतावनी जारी की है कि सांप का खून पीने या उन्हें जिंदा खाने से कोरोना जैसी महामारी या पशुओं से संबंधित बीमारियां इंसानों के शरीर में प्रवेश कर सकती हैं। पेटा ने कहा है ऐसा करने से एक और महामारी फैल सकती है। गौरतलब है कि गत वर्ष आयोजित कोबरा गोल्ड मिलिट्री ड्रिल में अमेरिकी सैनिकों को छिपकली और बिच्छू की खाल उतारते और उन्हें जिंदा खाते हुए देखा गया था। इतना ही नहीं ड्रिल की ऐसी फोटो सामने आई थी जिसमें सांप को मारकर उसके सिर से निकलते हुए खून को सैनिकों ने आपस में बांटकर पीते हुए देखे गए थे। इस तरह की तस्वीरों के वायरल होने पर लोगों ने तीखी प्रतिक्रिया भी दी थी।
पशुओं से फैल रही हैं 75 प्रतिशत बीमारियां
इसी कड़ी में पेटा ने अमेरिकी सीडीसी का हवाला देते हुए कहा कि 75 प्रतिशत बीमारियां पशुओं के जरिए इंसानों में फैल रही हैं। एक अनुमान के अनुसार वर्ष 1970 के दशक से अब तक तीन दर्जन संक्रामक बीमारियां पशुओं के आवास में छेड़छाड़ की वजह से इंसानों में फैलीं हैं। इन बीमारियों में सार्स, मर्स, इबोला, बर्ड फ्लू, स्वाइन फ्लू और जीका वायरस आदि जैसे शामिल हैं। वहीं वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि कोरोना वायरस भी चमगादड़ की वजह से फैला है।
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