नई दिल्ली। राजनीति में सिद्धांत की राजनीति अब केवल कहने की बात रह गई है। अवसरवाद की राजनीति में सिद्धांत हाशिए पर चला गया है औइ राजनीति का सबसे ज्यादा शिकार कांग्रेस पार्टी होती दिख रही है। पार्टी के लिए जहां हमेशा परिवार सर्वोपरी रहा वहीं इस दल के नेताओं के लिए अपना खुद का लाभ पहले हो गया है। इसका जीता जागता उदाहरण मध्य प्रदेश में देखने को मिला था। जहां पार्टी नेताओं के बगावत के चलते कांग्रेस के हाथ से सत्ता चली गई थी। वहीं अब ऐसी ही सुगबुगाहट बिहार में भी होने की आंशका लगाई जा रही है। क्योंकि कांग्रेस के पूर्व विधायक भरत सिंह ने दावा किया है कि कांग्रेस के 11 विधायक जल्द ही पार्टी छोड़ सकते हैं। उन्होंने कहा कि पार्टी में ये विधायक पैसों के बल पर आए हैं और ऐसे लोग जल्द पार्टी छोड़ सकते हैं। फिलहाल बिहार कांग्रेस ने भरत सिंह के इस दावे को खारिज कर दिया है।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भरत सिंह ने आरोप लगाया है कि पार्टी के 19 विधायकों में से 11 बाहर से आए हुए है। इन विधायकों ने पैसों के बल पर टिकट खरीदा था। इन नेताओं का पार्टी के उसूलों से कोई लेना-देना नहीं है और ये लोग यह लोग जल्द ही पार्टी छोड़ सकते हैं। साथ ही उन्होंने कहा है कि एनडीए अपने आप को और मजबूत करने में लगी हुई है। चर्चा है कि पार्टी छोड़ने वाले नेताओं में कांग्रेस विधायक दल के नेता अजीत शर्मा का भी नाम शामिल है। हालांकि अगर ऐसा होता है तो बिहार में कांग्रेस का टूटना तय माना जा रहा है।

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गौरतलब है कि इससे पहले बिहार कांग्रेस के प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल ने विधानसभा चुनाव के बाद अपने प्रभार से मुक्त होने की इच्छा जताई थी। इसके बाद पार्टी हाईकमान ने उन्हें उनके प्रभार से मुक्त करते हुए उनके स्थान पर भक्तम चरण दास को बिहार कांग्रेस का प्रमुख बना दिया था। बता दें कि कांग्रेस ने बिहार में आरजेडी के साथ गठबंधन के विधानसभा चुनाव लड़ा था। फिलहाल कांग्रेस नेता भारत सिंह ने विधायकों पर टिकट खरीदने का आरोप लगाकर पार्टी को भी कठघरे में खड़ा कर दिया है। अगर इन 11 विधायकों को पैसे के बल पर टिकट मिला था तो इससे साफ हो रहा है कि कांग्रेस ने बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान टिकट बेचे थे। ऐसे में कांग्रेस में उसूलों की बात करने वालों को सोचना होगा कि क्या उसूलों की बात क्या केवल नेताओं के लिए है या फिर दल पर भी लागू होगा।

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