राघवेंद्र प्रसाद मिश्र

Basti News: कहते हैं कि गरीबी सबसे बड़ा अभिशाप है, मगर सभी अमीर हो जाएं यह संभव भी नहीं है। गरीबी और अमीरी के बीच खाई सदियों से चली आ रही है। जब राजतंत्र था तब भी गरीब और अमीर थे। गरीबी और अमीरी की इसी खाई को कम करने के लिए लोकतंत्र की नींव पड़ी। देखते ही देखते लोकतंत्र तो मजबूत हो गया, लेकिन गरीब आज भी मजबूरी में जीने को अभिशप्त हैं। गरीबों के नाम कई दल सत्ता की मलाई खा रहे हैं, मगर देश में गरीब आज भी भूख और इलाज के अभाव में दम तोड़ रहे हैं। उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में आई भाजपा की सरकार से जनता को काफी अपेक्षाएं थीं। लेकिन भ्रष्ट नौकरशाही ने एक योगी को इतना पथभ्रष्ट कर दिया है कि उसे जनता की समस्याएं नजर ही नहीं आ रही है। इमानदार सरकार की आड़ में भ्रष्टाचार चरम पर है, लेकिन योगी सरकार सुशासन की बात कहकर खुद की पीठ थप-थपाने में मग्न है।

जनता की समस्याओं को लेकर योगी सरकार कितनी संवेदनशील है, इसे आप उत्तर प्रदेश के बस्ती जनपद के औरातोंदा गांव निवासी लालमन चौहान पुत्र सुरेश कुमार चौहान के मामले को देखकर समझ सकते हैं। लालमन चौहान काफी गरीब है और वह किडनी की समस्या से जूझ रहा है, जिसका इलाज लखनऊ के राम मनोहर लोहिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साईंसेज से चल रहा है। लालमन के इलाज के लिए पिता सुरेश चौहान ने अपनी खेती तक को बेच दिया, लेकिन वह बेटे को ठीक नहीं करा पाया। लालमन की सेहत में सुधार की जगह दवा के साइडइफेक्ट के चलते उसके जांघ के दोनों कूल्हे भी खराब हो गए। राम मनोहर लोहिया के डॉक्टर अब उसके इलाज में करीब पांच लाख रुपये का खर्च बता रहे हैं। वहीं कर्ज में डूबा लालमन का परिवार इलाज कराने में असमर्थ हो चुका है। ऐसे में उसे सरकारी मदद की सख्त जरूरत है।

पिता की बेबसी पर सरकार की खामोशी

गरीबी, मजबूरी और लाचारी से जूझ रहा लालमन का पिता सुरेश इलाज में मदद के लिए हर चौखट पर दस्तक दे रहा है, जहां से उसे मदद मिल सके। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मंच से सबको मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराने और गरीबों का फ्री में इलाज की बात करते हैं। वहीं लालमन की बात सामने आने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लेकर उनके पूरे तंत्र की खामोशी एक नाकारा सरकार की तरफ इशारा कर रही है। लालमन की मदद के लिए मुख्यमंत्री पीड़ित सहायता केंद्र को मेल किया गया, लेकिन दो दिन बीत जाने के बाद भी को रिप्लाई नहीं मिला। मुख्यमंत्री पीड़ित सहायता केंद्र का नंबर लग नहीं रहा है। आलम यह है कि ऑनलाइन आवेदन भी नहीं हो रहा। इसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उनके ऑफिस और उत्तर प्रदेश सरकार के साथ-साथ बस्ती से सांसद हरीश द्विवेदी, बस्ती डीएम, विधायक शलभ मणि त्रिपाठी को टैग कर लालमन की मदद की गुहार लगाई गई। लेकिन जिम्मेदारों की तरफ से मदद करना तो दूर मैसेज का रिप्लाई करना भी वाजिब नहीं समझा गया।

आयुष्मान कार्ड होने के बावजूद नहीं मिल पा रहा इलाज

मरीज के पिता के मुताबिक उसके पास आयुष्मान भारत का कार्ड है। लेकिन लोहिया अस्पताल के डॉक्टर उस पर इलाज करने से मना कर चुके हैं। पूछने पर कोई वजह बताते हुए कार्ड पर इलाज न कर पाने की बात कहकर टाल दिया गया। जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व राज्य सरकारों की तरफ से आयुष्मान योजना के तहत नि:शुल्क इलाज का दावा किया जा रहा है। फिलहाल जिस सरकार में समस्या के निराकरण के लिए मुख्यमंत्री की चौखट की दौड़ लगानी पड़े, वहां योजनाओं का लाभ जरूरतमंदों को कितनी मिल रही है, इसे समझा जा सकता है।

नाकारा सिस्टम पर खड़े होंगे सवाल

गरीब होना गुनाह है, इसका असल में पता तब चलता है, जब कोई बेबसी के दौर से गुजरता है। सुरेश जो दुकान चलाकर परिवार चलाता है, आज बेटे के इलाज के लिए इतना बेबस है कि हर किसी से उसे कुछ मदद की उम्मीद नजर आ रही है। बावजूद इसके योगी की इस क्रूर सरकार में एक बेबस पिता की सुध लेने वाला कोई नहीं है। सिस्टम के नक्कारखाने में एक पिता की आस, उम्मीद और विश्वास दम तोड़ रहे हैं। बताया जा रहा है कि लालमन की तबीयत दिन बा दिन नाजुक होती जा रही है। ऐसे में अगर कोई अनहोनी की घटना होती है तो इससे न सिर्फ नाकारे सिस्टम पर सवाल खड़े होंगे, बल्कि एक योगी की नैतिकता से लोगों का भरोसा टूटेगा।

सुशासन के नाम पर कलंकित करती घटनाएं

बेहतर सुशासन की दंभ भरने वाली योगी सरकार के राज में हुई घटनाएं कलंक साबित हो रही हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार में जिस तरह उत्तर प्रदेश में अपराधों को अंजाम दिया जा रहा है, ऐसा किसी और की सरकार में नहीं हुआ है। बुधवार को लखनऊ की एक कोर्ट में मुख्तार अंसारी गैंग के अपराधी संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा (Sanjeev Maheshwari alias Jeeva) की गोली मारकर हत्या कर दी गई। इस घटना ने कोर्ट की सुरक्षा व्यवस्था की पोल खोल कर रख दी है।

योगी आदित्यनाथ की सरकार में यह कोई इकलौती घटना नहीं है, जो सुरक्षा व्यवस्था की पोल खोल रही है। योगी राज में जेल के अंदर मुख्तार अंसारी के करीब मुन्ना बजरंगी की हत्या उनके पहले कार्यकाल में हुई थी। 9 जुलाई, 2018 को बागपत जिला जेल में मुख्तार अंसारी के करीबी मुन्ना बजरंगी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। बागपत जेल में बंद गैंगस्टर सुनील राठी पर मुन्ना बजरंगी की हत्या करने का आरोप लगा था। बागपत जेल के अंदर पिस्तौल और हत्या की घटना ने जेल के अंदर कैदियों की सुरक्षा के दावों को तार-तार कर दिया था।

कोर्ट रूम में संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा की हत्या

इसी तरह गत 15 अप्रैल को प्रयागराज में अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की पुलिस कस्टडी में सरेआम गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस घटना से उत्तर प्रदेश पुलिस की जमकर किरकिरी हुई। वहीं 7 जून, 2023 को मुख्तार अंसारी के बेहद करीबी माने जाने वाले संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा (Sanjeev Maheshwari alias Jeeva) की कोर्ट के अंदर गोली मारकर हत्या कर दी। संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा (Sanjeev Maheshwari alias Jeeva) मुख्तार अंसारी के साथ मिलकर कई जघन्य अपराधों को अंजाम दिया था। कृष्णानंद राय हत्याकांड में वह मुख्तार अंसारी के साथ मुख्य आरोपी भी था। वहीं गेस्ट हाउस कांड में बसपा सुप्रीमो मायावती को बचाने वाले ब्रह्मदत्त द्विवेदी की हत्या भी संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा (Sanjeev Maheshwari alias Jeeva) ने ही की थी। हालांकि संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा को गोली मारे जाने की घटना के वक्त जज कोर्ट में मौजूद नहीं थे। बावजूद इसके उसे पांच गोलियां मारी गईं, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई। वहीं घटना में एक लड़की व सिपाही घायल हो गये हैं, जिनका लखनऊ ट्रामा में इलाज चल रहा है। घायलों की हालत स्थिर बताई जा रही है।

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अपराध दर्ज न करके क्राइम कंट्रोल कर रही पुलिस

फिलहाल जांच से संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा न तो जिंदा हो जाएगा और न ही सरकार का रसूख वापस मिल पाएगा। सरकार जनसमस्याओं को लेकर वास्तव में अगर गंभीर है, तो मामले में लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों पर सख्त कार्रवाई करने का साहस दिखाना होगा। क्योंकि सरकारी कार्यालय में फरियादियों का किस तरह उत्पीड़न हो रहा है, वह मुख्यमंत्री जनता दर्शन में आने वाली भीड़ को देखकर समझा जा सकता है। वहीं पुलिस अपराधियों पर कार्रवाई करने की जगह आपराधिक मामलों को दर्ज न करके क्राइम कंट्रोल कर रही है। पुलिस में पीड़ितों को शिकायत दर्ज कराने के लिए लोहा लेना पड़ रहा है। उत्तर प्रदेश के जालौन में दुष्कर्म पीड़िता को इंसाफ न दिला पाने से आहत पिता ने आग लगाकर आत्महत्या कर ली। ऐसा में प्रदेश की जनता अब कहने लगी है कि योगी जी यह सुशासन नहीं कलंक है। इससे अच्छा तो अपराधियों को संरक्षण देने वाली सरकारें थीं, जहां नेताओं के दबाव-प्रभाव में सुनवाई तो हो जाती थी।

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