लखनऊ: आजादी के अमृत महोत्सव की संकल्पना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो वर्ष पूर्व ही कर ली थी। वर्ष भर चले विचार विमर्श के उपरांत आजादी के अमृत महोत्सव को मनाने का संकल्प हुआ, जिसके तहत 1857 के संग्राम से 1947 तक के और उसके बाद भारतीय सेना के जवानों एवं शहीदों को स्मरण करने और जन-जन तक उनके कार्यों की जानकारी पहुंचाने का निर्णय लिया गया। उक्त उद्गार मुख्य वक्ता प्रधानमंत्री के पूर्व सचिव एवं वर्तमान समय में विधान परिषद सदस्य एके शर्मा ने आज़ादी के अमृत महोत्सव पर आयोजित राष्ट्रहित सर्वोपरि कार्यक्रम के चौथे अंक में व्यक्त किए। यह कार्यक्रम सरस्वती कुंज, निराला नगर के प्रो. राजेन्द्र सिंह (रज्जू भैया) उच्च तकनीकी (डिजिटल) सूचना संवाद केन्द्र में विद्या भारती, एकल अभियान, इतिहास संकलन समिति अवध, पूर्व सैनिक सेवा परिषद एवं विश्व संवाद केन्द्र अवध के संयुक्त अभियान में चल रहा है।

कार्यक्रम की प्रस्ताविकी पर्यटन विभाग के प्रमुख सचिव मुकेश मेश्राम ने रखी। उन्होंने कहा कि हमारा स्वाधीनता संग्राम बहुत बड़े संघर्ष का परिणाम है। देश के लाखों वीरों, महापुरुषों, शहीदों और अलग-अलग वर्गों से जुड़े लोगों ने संघर्ष किया, जिसके परिणामस्वरूप हम एक स्वतंत्र वातावरण में जी रहे हैं। उन सभी महापुरुषों और विस्मृत कर दिए गए वीर बलिदानियों का स्मरण करने के लिए अमृत महोत्सव कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। इस कार्यक्रम के माध्यम से जन-जन तक अपने गौरवपूर्ण इतिहास और वीर बलिदानियों की गाथाओं को पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है।

Amrit Mahotsav

कैबिनेट मंत्री बृजेश पाठक जी ने कहा कि आजादी अचानक ऐसे ही नहीं मिली, इसके पीछे कई वर्षों का संघर्ष व हमारे देश के लोगों का बलिदान रहा है। उन्होंने कहा कि आजादी की लड़ाई में 1857 से लेकर 1947 तक लाखों सेनानियों/नायकों ने बलिदान किया है, लेकिन इतिहास में कहीं न कहीं उन्हें विस्मृत कर दिया गया है। ऐसे गुमनाम बलिदानियों को स्मरण कर उनकी गाथाओं को जानने और उनसे प्रेरणा लेने की जरूरत है। आजादी के लिए संघर्ष करने वाले लाखों ऐसे बलिदानी जिन्हें विस्मृत कर दिया गया है, उनका स्मरण करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी जी ने देश भर में आजादी का अमृत महोत्सव कार्यक्रम को मनाने का संकल्प लिया। उन्होंने युवाओं को प्रेरित करते हुए कहा कि आज हम सभी के अंदर भारत माता के प्रति जीवन न्यौछावर करने भाव होना चाहिए, भारत माता को सुरक्षित करने का जुनून होना चाहिए। सभी को एकजुट होकर देश की मजबूती व एकता के बारे में सोचना चाहिए।

मुख्य वक्ता वरिष्ठ आईएएस विधान परिषद सदस्य एके शर्मा ने आजादी के अमृत महोत्सव के उद्देश्यों पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि जब तक हम अपने देश के गौरवपूर्ण इतिहास के बारे में नहीं जानेंगे, तब तक अपने भारत के भव्य भविष्य की कल्पना नहीं कर पाएंगे। उन्होंने कहा कि अमृत महोत्सव कार्यक्रम का एक उद्देश्य यह भी था कि लोगों के मन में अपने राष्ट्र के प्रति प्रेम को जागृत किया जाए, जिससे वह अपने दायित्व को समझते हुए अपना योगदान दें और राष्ट्र के लिए कुछ करने के संकल्प को दृढ़ करें, ताकि भावी पीढ़ी का भविष्य सुखी और समृद्ध हो।

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मुख्य अतिथि कर्नल रघुनाथ प्रसाद चतुर्वेदी ने कहा कि आज़ादी का अमृत महोत्सव मनाने से पहले हमें आजादी के महत्त्व को समझना पड़ेगा। वर्तमान में हमें जो मूलभूत अधिकार प्राप्त हैं, वह आज़ादी से पहले नहीं थे। यहां तक कि बिना अनुमति के कोई सामान्य व्यक्ति कुर्सी पर भी नहीं बैठ सकता था। उन्होंने बच्चों को सेना में जाने के लिए प्रोत्साहित करते हुए कहा कि शिक्षक अपने स्कूल के बच्चों को सैन्य सेवा में कॅरियर के लिए मार्गदर्शन करें, जिससे वह देश सेवा के लिए प्रेरित हो सकें।

विशिष्ट अतिथि लेफ्टिनेंट कर्नल वरुण वाजपेयी ने कहा कि सभी के अंदर देश हित की भावना सर्वोपरि होनी चाहिए। सर्वप्रथम सभी को एक अच्छा इंसान बनना चाहिए। अच्छे इंसान बनेंगे तभी देश के लिए कुछ करने की ललक होगी। उन्होंने कहा कि देश के प्रति लोगों को किसी न किसी माध्यम से अपना योगदान देना चाहिए। उन्होंने देश के सभी युवाओं से सेना में आने का आग्रह किया।

कार्यक्रम अध्यक्ष राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ पूर्वी उत्तर प्रदेश के प्रचार प्रमुख नरेंद्र ने कहा कि स्वतंत्रता का अमृत महोत्सव अपने आप में विलक्षण अनुभव है। स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूर्ण होने के बाद भी हम यह विचार नहीं कर पाए कि हमें आगे क्या करना है? यह हमारे देश के लिए दुर्भाग्य की बात है। उन्होंने कहा कि जिस संकल्प को लेकर हम चले थे, उसे हम पूरा नहीं कर पाये और अपनी संस्कृति को भूलते गए। उन्होंने कहा कि जब तक उन संकल्पों को पूरा करने में जन सहभागिता नहीं होगी, तब तक उन राष्ट्रहित से जुड़े संकल्पों को पूरा नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि नई पीढ़ी को अपने देश के गौरव के बारे में जानना होगा।

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कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि प्रो. निशी पांडेय, डा. कुसुम कमल, राघवेंद्र विक्रम सिंह, डॉ. अनुज महेश्वरी, डॉ. रजनीश सिंह ने भी अपने विचार व्यक्त किए। इस अवसर मुख्य अतिथियों ने सरस्वती शिशु विद्या मंदिर, मॉडल हाउस से आए हुए बच्चों के सवालों के जवाब भी दिए गए। कार्यक्रम में आए अतिथियों का परिचय विद्या भारती अवध प्रांत के सेवा प्रमुख रजनीश पाठक ने कराया और आभार ज्ञापन डॉ. एसके त्रिपाठी ने किया। कार्यक्रम का संचालन विद्या भारती पूर्वी उत्तर प्रदेश के प्रचार प्रमुख सौरभ मिश्रा जी ने किया। इस कार्यक्रम में विद्या भारती पूर्वी उत्तर प्रदेश के सह प्रचार प्रमुख भास्कर दूबे, शुभम सिंह, सरिता, कार्यक्रम संयोजक डॉ. मुकेश, प्रधानाचार्य राम सागर तिवारी, छात्र-छात्राएं सहित आदि लोग मौजूद रहे।

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