स्वर-लोक की मां, सुर-लोक की महायात्रा के लिए प्रस्थान कर गईं। हमारी मंगल-ध्वनियों, हमारी भाव-गंगोत्री को गीत करने वाला कंठ, परम विश्रांति की गोद में सो गईं। सरस्वती मां की आवाज़, अपनी पुण्य-काया को त्यागकर, परमसत्ता के धाम चली गई। स्वरों की ममतामयी मां तुम हमारे लोककंठ में थीं, हैं और इस सृष्टि के रहने तक रहेंगी। एक ऐसा जीवन जिसने पराधीन भारत में जन्मलिया, स्वाधीन भारत के प्रथम प्रधानमंत्री को अपने कोकिल स्वर से अभिभूत किया और वर्तमान प्रधानमंत्री तक को असीम आशीर्वाद देती रहीं। देवताओं से लेकर शहीदों तक को आपके स्वर ने अनंत श्रद्धा सुर दिए। आपका अद्भुत जीवन जिसकी देह का विश्राम सुर, स्वर और संगीत की अधिष्ठात्री मां वीणापाणि के गोंद में ही साक्षात प्राप्त हुआ। आपका जीवन अद्भुत रहा। हर भारतवासी ने आपको दीदी ही कहा।
लता मंगेशकर (जन्म 28 सितंबर, 1929 इंदौर) भारत की सबसे लोकप्रिय और गायिका हैं, जिनका छह दशकों का कार्यकाल उपलब्धियों से भरा पड़ा है। हालांकि लता जी ने लगभग तीस से ज्यादा भाषाओं में फ़िल्मी और गैर-फ़िल्मी गाने गाये हैं लेकिन उनकी पहचान भारतीय सिनेमा में एक पार्श्वगायक के रूप में रही है। अपनी बहन आशा भोंसले के साथ लता जी का फ़िल्मी गायन में सबसे बड़ा योगदान रहा है।
लता की जादुई आवाज़ के भारतीय उपमहाद्वीप के साथ-साथ पूरी दुनिया में दीवाने हैं। टाईम पत्रिका ने उन्हें भारतीय पार्श्वगायन की अपरिहार्य और एकछत्र साम्राज्ञी स्वीकार किया है। लता दीदी को भारत सरकार ने ‘भारतरत्न’ से सम्मानित किया है। लता जी का जन्म गोमंतक मराठा समाज परिवार में, मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में सबसे बड़ी बेटी के रूप में पंडित दीनानाथ मंगेशकर के मध्यवर्गीय परिवार में हुआ। उनके पिता रंगमंच एलजीके कलाकार और गायक थे। इनके परिवार से भाई हृदयनाथ मंगेशकर और बहनों उषा मंगेशकर, मीना मंगेशकर और आशा भोंसले सभी ने संगीत को ही अपनी आजीविका के लिये चुना।
I am anguished beyond words. The kind and caring Lata Didi has left us. She leaves a void in our nation that cannot be filled. The coming generations will remember her as a stalwart of Indian culture, whose melodious voice had an unparalleled ability to mesmerise people. pic.twitter.com/MTQ6TK1mSO
— Narendra Modi (@narendramodi) February 6, 2022
हालाँकि लता जी का जन्म इंदौर में हुआ था, लेकिन उनकी परवरिश महाराष्ट्र में हुई। वह बचपन से ही गायक बनना चाहती थीं। बचपन में कुन्दन लाल सहगल की एक फ़िल्म चंडीदास देखकर उन्होंने कहा था कि वो बड़ी होकर सहगल से शादी करेगी। पहली बार लता ने वसंग जोगलेकर द्वारा निर्देशित एक फ़िल्म कीर्ती हसाल के लिये गाया। उनके पिता नहीं चाहते थे कि लता फ़िल्मों के लिये गाये इसलिये इस गाने को फ़िल्म से निकाल दिया गया। लेकिन उसकी प्रतिभा से वसंत जोगलेकर काफी प्रभावित हुए।
पिता की मृत्यु के बाद (जब लता सिर्फ़ तेरह साल की थीं), लता को पैसों की बहुत किल्लत झेलनी पड़ी और काफी संघर्ष करना पड़ा। उन्हें अभिनय बहुत पसंद नहीं था लेकिन पिता की असामयिक मृत्यु की वज़ह से पैसों के लिये उन्हें कुछ हिन्दी और मराठी फ़िल्मों में काम करना पड़ा। अभिनेत्री के रूप में उनकी पहली फ़िल्म पाहिली मंगलागौर (1942) रही, जिसमें उन्होंने स्नेहप्रभा प्रधान की छोटी बहन की भूमिका निभाई। बाद में उन्होंने कई फ़िल्मों में अभिनय किया जिनमें, माझे बाल, चिमुकला संसार (1943), गजभाऊ (1944), बड़ी माँ (1945), जीवन यात्रा (1946), माँद (1948), छत्रपति शिवाजी (1952) शामिल थी। बड़ी माँ, में लता ने नूरजहाँ के साथ अभिनय किया और उसके छोटी बहन की भूमिका निभाई आशा भोंसले ने। उन्होंने खुद की भूमिका के लिये गाने भी गाये और आशा के लिये पार्श्वगायन किया।
वर्ष 1942 में लताजी के पिताजी का देहांत हो गया इस समय इनकी आयु मात्र तेरह वर्ष थी। भाई बहिनों में बड़ी होने के कारण परिवार की जिम्मेदारी का बोझ भी उनके कंधों पर आ गया था। दूसरी ओर उन्हें अपने करियर की तलाश भी थी। जिस समय लताजी ने (1948) में पार्श्वगायिकी में कदम रखा तब इस क्षेत्र में नूरजहां, अमीरबाई कर्नाटकी, शमशाद बेगम और राजकुमारी आदि की तूती बोलती थी। ऐसे में उनके लिए अपनी पहचान बनाना इतना आसान नही था। लता का पहला गाना एक मराठी फिल्म कीति हसाल के लिए था, मगर वो रिलीज नहीं हो पाया।
1945 में उस्ताद ग़ुलाम हैदर (जिन्होंने पहले नूरजहाँ की खोज की थी) अपनी आने वाली फ़िल्म के लिए लता को एक निर्माता के स्टूडियो ले गए, जिसमें कामिनी कौशल मुख्य भूमिका निभा रही थी। वे चाहते थे कि लता उस फ़िल्म के लिए पार्श्वगायन करे। लेकिन गुलाम हैदर को निराशा हाथ लगी। 1947 में वसंत जोगलेकर ने अपनी फ़िल्म आपकी सेवा में लता को गाने का मौका दिया। इस फ़िल्म के गानों से लता की खूब चर्चा हुई। इसके बाद लता ने मज़बूर फ़िल्म के गानों “अंग्रेजी छोरा चला गया” और “दिल मेरा तोड़ा हाय मुझे कहीं का न छोड़ा तेरे प्यार ने” जैसे गानों से अपनी स्थिती सुदृढ़ की। हालांकि इसके बावज़ूद लता को उस खास हिट की अभी भी तलाश थी।
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1949 में लता को ऐसा मौका फ़िल्म “महल” के “आयेगा आनेवाला” गीत से मिला। इस गीत को उस समय की सबसे खूबसूरत और चर्चित अभिनेत्री मधुबाला पर फ़िल्माया गया था। यह फ़िल्म अत्यंत सफल रही थी और लता तथा मधुबाला दोनों के लिये बहुत शुभ साबित हुई। इसके बाद लता ने कभी पीछे मुड़़कर नहीं देखा।
विविध
पिता दिनानाथ मंगेशकर शास्त्रीय गायक थे।
उन्होने अपना पहला गाना मराठी फिल्म ‘किती हसाल’ (कितना हसोगे?) (1942) में गाया था।
लता मंगेशकर को सबसे बड़ा ब्रेक फिल्म महल से मिला। उनका गाया “आयेगा आने वाला” सुपर डुपर हिट था।
लता मंगेशकर अब तक 20 से अधिक भाषाओं में 30000 से अधिक गाने गा चुकी हैं।
लता मंगेशकर ने 1980 के बाद से फ़िल्मों में गाना कम कर दिया और स्टेज शो पर अधिक ध्यान देने लगी।
लता ही एकमात्र ऐसी जीवित व्यक्ति हैं जिनके नाम से पुरस्कार दिए जाते हैं।
लता मंगेशकर ने आनंद घन बैनर तले फ़िल्मों का निर्माण भी किया है और संगीत भी दिया है।
वे हमेशा नंगे पाँव गाना गाती हैं।
सम्मान एवं पुरस्कार
फिल्म फेयर पुरस्कार (1958, 1962, 1965, 1969, 1993 and 1994)
राष्ट्रीय पुरस्कार (1972, 1975 and 1990)
महाराष्ट्र सरकार पुरस्कार (1966 and 1967)
1969 – पद्म भूषण
1974 – दुनिया में सबसे अधिक गीत गाने का गिनीज़ बुक रिकॉर्ड
1989 – दादा साहब फाल्के पुरस्कार
1993 – फिल्म फेयर का लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार
1996 – स्क्रीन का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार
1997 – राजीव गान्धी पुरस्कार
1999 – एनटीआर पुरस्कार
1999 – पद्म विभूषण
1999 – ज़ी सिने का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार
2000 – आईआईएएफ का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार
2001 – स्टारडस्ट का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार
2001 – भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान “भारत रत्न”
2001 – नूरजहाँ पुरस्कार
2001 – महाराष्ट्र भूषण
वीणापाणि की प्रतिनिधि पुत्री लता दीदी को यह जग कभी विस्मृत नहीं कर पाएगा।
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