प्रकाश सिंह
वाराणसी: विश्वनाथ की नगरी में वैसे तो तीर्थ स्थानों व मंदिरों की कोई कमी नहीं है। प्राचीन नगरी को मंदिरों का शहर कहा जाता है, यहां सबसे अलग एक ऐसा अनोखा मंदिर भी है जहां न किसी देवी-देवता की मूर्ति है और न ही कोई चित्र है, फिर भी यहां सर्वाधिक भीड़ देखने को मिलती हैं। बिल्कुल अलग निराला व शानदार भारत माता का मंदिर है। यह ऐसा अनोखा मंदिर है जिसमें कोई देवी-देवता का चित्र नहीं, बल्कि यहां संगमरमर पर उकेरी गई अविभाजित भारत माता का तेरी आयाम भौगोलिक मानचित्र है। इस मानचित्र में पर्वत पठान नदियां और सागर सभी को बखूबी दर्शाया गया है।
अंग्रेजों की अधीनता में दबे भारतीयों ने इस भव्य और अनूठे मंदिर की परिकल्पना की। इस मंदिर का निर्माण वर्ष 1936 में स्वतंत्रता सेनानी बाबू शिव प्रसाद गुप्ता द्वारा किया गया था, जिसका उद्घाटन महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ वाराणसी के द्वारा किया गया। मंदिर वाराणसी जंक्शन से 1.5 किलोमीटर दक्षिण और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से 6 किलोमीटर उत्तर में है। वैसे तो विश्वनाथ की नगरी अयोध्या में तीर्थ स्थानों की कोई कमी नहीं है, लेकिन मत्स्य पुराण के अनुसार 5 तीर्थ स्थान प्रमुख है।
1- दशामेध
2- लोलार्क कुंड
3- केशव (आदि केशव)
4- बिंदु माधव
5- मणिकार्णिका
भारत माता का मंदिर एक ऐसा मंदिर है कि इसमें पुजारी की भी कोई जरूरत महसूस नहीं की जाती है। मंदिर में भारत में देश के राष्ट्रीय पर्व गणतंत्र दिवस (26 जनवरी) और स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त) पर यहां जैसे देशप्रेमियों का मेला सा लग जाता है। भारत माता की पूजा अर्चना विधि-विधान से की जाती है इस मंदिर की आराध्य भारत माता हैं। यहां पर पूजा, कर्मकाण्ड या दूसरे मंदिरों जैसे घंटा घड़ियाल नहीं बजते और न ही पंडितों पुरोहितों की खींचतान होती है। आजादी की लड़ाई के दौर में अपने प्राणों की आहुति देने वालों का प्रेरणा स्रोत यह मंदिर आज भी हिन्दू, मुस्लिम, सिख एवं ईसाई जैसे जाति या साम्प्रदायिक और उन्मादी धार्मिक भावना से कोसों दूर सर्वधर्म समभाव का संदेश दे रहा है।
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मां की ममता और उसके आंचल को शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता, उसे सिर्फ महसूस किया जा सकता है। ऐसे ही एक मां हैं भारत मां जो न जाने कितने वर्षों से पूरे समाज को अपने आंचल में संजोए हैं। यह एक ऐसा मंदिर है जहां कभी बड़े-बड़े राजनेता और अभिनेता सिर झुकाने आते थे, मगर आज के समय में इस मंदिर में ऐसा कुछ खास देखने को नहीं रहा।
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