लखनऊ। दीपावली के 15 दिन बाद और कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि को देव दीपावली (Dev Deepawali) का पर्व मनाया जाता है। इस बार देव दीपावली (Dev Deepawali) का पर्व 19 नवंबर को होगा। इस वर्ष देव दीपावली (Dev Deepawali) पर मनकामेश्वर उपवन घाट पर लाखों दीपक जलाकर देव दीपावली (Dev Deepawali) का पर्व मनाया जायेगा। इसके बाद गोमती के तट पर महाआरती का आयोजन किया जायेगा। मनकामेश्वर मंदिर की महंत देव्या गिरि ने इस विषयक बताया कि दीपक जलाकर पर्यावरण संरक्षण के प्रति लोगो को जागरूक किया जाएगा। कल सुबह से ही दीपक को लगाने का कार्य शुरू कर दिया जायेगा। देव दीपावली (Dev Deepawali) के दिन लखनऊ के विभिन्न मंदिरों में भी विशेष आयोजन होंगे। राजेंद्र नगर स्थित महाकाल मंदिर में 1100 दीपकों के साथ आरती होगी और महाकाल का श्रृंगार होगा। श्री शुभ संस्कार समिति के अध्यक्ष लक्ष्मीकांत पांडेय ने बताया कि देव दीपावली के दिन शाम छह बजे विशेष आरती होगी।
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देव दीपावली  का है विशेष महत्व
कार्तिक मास की पूर्णिमा यानि देव दीपावली (Dev Deepawali) के दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व होता है। इस दिन हर व्यक्ति को अपनी यथाशक्ति अनुसार दान-पुण्य जरूर करना चाहिए। मान्यताओं के अनुसार, कार्तिक मास में श्री हरि जल में निवास करते हैं। इस दिन किसी पवित्र नदी में भी स्नान करने से अभीष्ट फल की प्राप्ति होती है। यदि पवित्र नदियों में स्नान न कर पाएं तो पवित्र नदियों के जल को पानी में मिलाकर स्नान कर लें।
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इस कारण मनाई जाती है देव दीपावली 
देव दीपावली (Dev Deepawali) को लेकर मान्यता है कि भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध कार्तिक पूर्णिमा को ही किया था और श्री विष्णु जी का मत्स्य अवतार भी इसी दिन को हुआ था। देवताओं ने इसी दिन दीपावली मनाया था, इसलिए इस दिन देव दीपावली मनाई जाती है। इस दिन देवताओं का पृथ्वी पर आगमन होता है और उनके स्वागत में धरती पर दीप जलाए जाते हैं। देव दीपावली (Dev Deepawali) के दिन ॐ नमः शिवाय’, ॐ हौं जूं सः, ॐ भूर्भुवः स्वः, ॐ त्र्यम्बेकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धूनान् मृत्योवर्मुक्षीय मामृतात मंत्रों का जाप करना बहुत ही फलदायक होता है।
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