प्रकाश सिंह
लखनऊ: यूपी विधानसभा चुनाव का शुरूर अब परवान चढ़ने लगा है। सभी राजनीतिक दल ब्राह्मण गुणगान करने के बाद अब अपने असली रूप में आना शुरू कर दिए हैं। जिन दलों के बारे में जनता में जैसी धारणा थी वह उसी रूप में अब दिखना शुरू कर दिए हैं। उत्तर प्रदेश का विधानसभा चुनाव काफी दिलचस्प होने वाला है, क्योंकि यहां अभी तक के सर्वे में मुख्य लड़ाई सपा और भाजपा के बीच दिख रही है। हालांकि अन्य पार्टियों की सीटें भी घटने और बढ़ने के संकेत मिल रहे हैं। लेकिन राजनीतिक दल भाजपा हटाओ नारे के साथ जिस तरह चुनाव मैदान में ताल ठोंक रहे हैं, उससे यह बात साफ हो जाती है कि विपक्ष के बाद कोई ठोस मुद्दा नहीं है।
चुनाव से पहले सपा का कई बार एजेंडा बदल चुका है। वहीं सपा की तरफ से लगाए गए होर्डिंग से बदले की बू आनी शुरू हो गई है। बता दें कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस समय जहां सपा का गढ़ माने जाने आजमगढ़ में समाजवादी पार्टी पर हमला बोल रहे हैं, वहीं सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव भी योगी आदित्यनाथ के गढ़ से उन्हें ललकारने उतर गए हैं। चुनावी मौसम में नेताओं के बीच वार-पलटवार लगा रहता है। मगर सपा धमकी वाले फर्म में आ गई है। सपा की तरफ से लगाई गई होर्डिंग में साफ लिखा है- ‘हर बात का हिसाब होगा।’ इसका क्या मतलब निकाला जाए? खैर यह जनता को तय करना है कि काम करने वाली सरकार चाहिए या फिर हिसाब करने वाली।
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सपा पर गुंडों की पार्टी होने का तमगा लगा है, तो वह अकारण नहीं है। पार्टी के नेता और कार्यकर्ता ऐसी हरकतें करते रहते हैं, जिससे जनता के बीच पार्टी की जो छवि सुधार रही होती है, वह साफ दिखने लगती है। सपा को भी तय करना होगा कि वह विकास के नाम पर जनता के बीच जाएगी या फिर हिसाब-किताब करने के नाम पर। फिलहाल ‘हर बात का हिसाब होगा’ बात छोटी है पर मतलब काफी बड़ा है। इससे यह कहने में कोई संकोच नहीं कि चुनाव बाद प्रदेश एकबार हिंसा की आग में झुलस सकता है।
फिलहाल जनता किसको, किस बात का हिसाब करने का मौका देगी यह तो भविष्य की गर्त में है। लेकिन इसे बेहतर और स्वच्छ राजनीति का हिस्सा कतई नहीं माना जा सकता। प्रदेश को अगर खुशहाली के रास्ते पर लाना है तो पार्टियों का इस तरह के आराजक शब्दों का इस्तेमाल करना बंदा करना होगा।
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