गोंडा: फसलों के लिए ग्रहण बन चुके छुट्टा पशुओं ने किसानों का सुख चैन छीन लिया है। इस गंभीर समस्या के निदान के लिए सरकार द्वारा गौशाला खुलवाने के बाद भी हल नहीं निकल सका। किसानों के लिए छुट्टा पशु मुसीबत बन चुके हैं। अब वह चाहे उनकी जान पर हो या फसल पर हो। सड़कों पर छुट्टा पशुओं की बढ़ती संख्या लोगों के लिए सिरदर्द और जान का खतरा बन चुकी है। इसके बाद भी जिम्मेदार अधिकारियों ने आंख पर पट्टी बांधे नजर आ रहे हैं। हालांकि जान की कोई कीमत नहीं होती, लेकिन छुट्टा जानवरों की वजह से हुए हादसे पर मुआवजे की राशि जिम्मेदार अधिकारियों की जेब से दिलाई जाए तो शायद उनकी आंखें खुल जाएं।
गांवों में सबसे ज्यादा सांड और गाय का खतरा है। गांव में कुछ लोगों ने गाय पाल रखी है, लेकिन अधिकांश लोग दूध निकालने के बाद गाय को सड़क पर इधर-उधर चारे के लिए को छोड़ देते हैं। सड़क व सार्वजनिक जगहों पर घूमते पशु अब लोगों की जान के लिए खतरा बन गए हैं। आए दिन कहीं न कहीं कोई इनके हमले व इनकी वजह से हादसे का शिकार हो रहा है। ताजा मामला थाना परसपुर क्षेत्र का सामने आया है। जहां ग्राम सिमरिया संभाल पुरवा में उस वक्त मातम छा गया जब यहां के किसान भगवाने की सांड के हमले में मौत हो गई।
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जानकारी के मुताबिक 60 वर्षीय भगवाने अपनी फसल देखने गए थे। इस दौरान उन पर सांड ने हमला कर दिया। उनकी चीख-पुकार सुनकर दौड़े तीन अन्य लोगों को भी सांड बुरी तरह घायल कर दिया। गांव वालों के पहुंचने पर किसी तरह लोगों को बचाया जा सका। सांड के इस हमले में घायल तीन लोगों का इलाज चल रहा है, वहीं किसान भगवाने की मौत हो गई है। मौके पर पहुंची पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है।
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