लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 का शुरूर दिनोंदिन चढ़ता जा रहा है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा जहां इन दिनों तीन दिवसीय यूपी दौरे के दौरान पार्टी के लिए सियासी जमीन तैयार कर रही हैं, वहीं बसपा प्रमुख मायावती ने बड़ा सियासी चाल चल दिया है। बसपा ब्राह्मणों को साध कर पहले भी सत्ता में आ चुकी है, ऐसे में एक बार फिर पार्टी की तरफ से ब्राह्मण सम्मेलन करने निर्णय प्रदेश की सियासत में नया मोड़ ला सकती है। बसपा मिशन 2022 को लेकर ब्राह्मणों को एकबार फिर अपने पाले में लाने की तैयारी में लग गई है और पार्टी इसी को लेकर ब्राह्मणों का मंडलीय सम्मेलन करने का निर्णय लिया है।
बसपा ब्राह्मण सम्मेलन कराने की जिम्मेदारी राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्र को सौंपी है। 23 जुलाई से इसकी शुरुआत अयोध्या से होगी। राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्र अयोध्या में मंदिर दर्शन के बाद से ब्राह्मणों को साधने की कोशिश में जुटेंगे। जानकारी के मुताबिक पहले चरण में 23 से 29 जुलाई तक लगातार छह जिलों में ब्राह्मण सम्मेलन किए जाएंगे। बताते चलें कि बसपा सुप्रीमो मायावती मिशन-2022 को लेकर संगठन को चुस्त दुरुस्त करने में जुट गई हैं। साथ ही उन्होंने विधानसभा चुनाव को देखते हुए बूथ गठन के काम को तेजी से पूरा करने का निर्देश दिया है। बूथ गठन की जिम्मेदारी पहले जिलाध्यक्ष के जिम्मे थी, लेकिन अब मुख्य सेक्टर प्रभारियों को भी इस काम में लगाया गया है।
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गौरतलब है कि ‘तिलक, तराजू और तलवार, इनको मारों जूते चार’ नारे के साथ राजनीति में धाक जमाने वाली बसपा सुप्रीमो को एक ही कार्यकाल में पता चल गया था कि बिना इन तीनों को साथ लिए सत्ता में नहीं आया जा सकता। और अगले चुनाव में पार्टी का नया नारा हुआ ‘तिलक, तराजू और तलवार, इनको पूजों बारंबार।’ इस नारे के सहारे मायावती सत्ता तक पहुंची और कुशल शासन भी किया। बसपा पर भ्रष्टाचार के भले ही आरोप लगे, लेकिन मायावती ने अफसरशाही को सत्ता का हनक दिखा दिया था। फरियादियों को यह लगने लगा था कि अधिकारी उनकी बात जरूर सुनेंगे।
लेकिन सत्ता और समय परिवर्तन के साथ ही मायावती के तेवर में भी परिवर्तन आ गया। फिलहाल सत्ता की कुर्सी तक पहुंचने के लिए मायावती ने विधानसभा चुनाव 2022 से पहले ब्राह्मणों को रिझाने के लिए बड़ा दांव चल दिया है। लेकिन पिछले चुनाव में बसपा ने सपा से गठबंधन करके जो गलती की थी उसका उसे कितना हर्जाना चुकाना पड़ेगा यह आने वाला वक्त बताएगा। क्योंकि मायावती ने सपा से न सिर्फ गठबंधन किया था, बल्कि अपने आबरू का सौदा करते हुए मुलायम सिंह यादव पर दर्ज केस को वापस ले लिया था।
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