National Herald case: नेशनल हेराल्ड मनी लॉन्ड्रिंग केस (, National Herald money laundering case) को लेकर गांधी परिवार एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मामले में एक बड़ा खुलासा करते हुए कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व, विशेष रूप से सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) और राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को सीधे तौर पर कठघरे में खड़ा किया है। ईडी द्वारा दाखिल किए गए नए आरोपपत्र में गांधी परिवार पर लगभग 5,000 करोड़ रुपए की संपत्तियों पर अनुचित नियंत्रण का आरोप लगाया गया है।

50 लाख में हासिल किए गए 2,000 करोड़ के शेयर

ईडी के अनुसार, एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) जो ऐतिहासिक नेशनल हेराल्ड अखबार प्रकाशित करती थी, की लगभग 2,000 करोड़ रुपए की संपत्तियों को यंग इंडियन नामक एक निजी कंपनी के माध्यम से अधिग्रहित किया गया। इस कंपनी के लगभग 99% शेयर मात्र 50 लाख रुपए में लिए गए, जबकि संपत्तियों का बाजार मूल्य लगभग 5,000 करोड़ रुपए आँका गया है। ईडी का दावा है कि सोनिया गांधी और राहुल गांधी, यंग इंडियन में 76% हिस्सेदारी रखते हैं, जिससे उन्हें एजेएल की संपत्तियों पर सीधा नियंत्रण मिला।

कानून की धारा 25 का हुआ दुरुपयोग

चार्जशीट में उल्लेख किया गया है कि यंग इंडियन को कंपनी अधिनियम की धारा 25 के तहत एक गैर-लाभकारी संस्था के रूप में पंजीकृत किया गया था। लेकिन ईडी का कहना है कि जांच में किसी भी प्रकार की सामाजिक या परोपकारी गतिविधियों का कोई प्रमाण नहीं मिला है।

कांग्रेस पार्टी से मिला कर्ज कैसे बना शेयर होल्डिंग

ईडी ने यह भी खुलासा किया है कि कांग्रेस पार्टी ने एजेएल को पहले 90.21 करोड़ रुपए का ऋण दिया था, जिसे बाद में केवल 9.02 करोड़ रुपए में यंग इंडियन को ट्रांसफर कर दिया गया। इससे गांधी परिवार को एजेएल पर पूर्ण नियंत्रण मिल गया- इसे ईडी ने आपराधिक साजिश का हिस्सा बताया है।

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कोर्ट 25 अप्रैल को करेगा सुनवाई

आरोप पत्र में कांग्रेस नेता सैम पित्रोदा और सुमन दुबे के नाम भी शामिल हैं। सोनिया गांधी को आरोपी नंबर 1 और राहुल गांधी को आरोपी नंबर 2 बताया गया है। विशेष अदालत अब 25 अप्रैल को इस चार्जशीट पर संज्ञान लेने पर फैसला करेगी। अगर आरोप साबित होते हैं, तो दोषियों को PMLA की धारा 4 के तहत अधिकतम 7 साल की सजा हो सकती है। यह मामला सबसे पहले 2013 में भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा उठाया गया था। उनके द्वारा दायर याचिका के बाद ट्रायल कोर्ट ने आयकर विभाग को इस मामले की जांच करने और गांधी परिवार की कर स्थिति का पुनर्मूल्यांकन करने की अनुमति दी थी।

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