बस्ती। हाल ही में ग्राम पंचायत चुनाव का परिणाम आया है, जिसके चलते ग्राम के विकास का जिम्मा अब नए प्रधानों के कंधे पर आ गया है। लेकिन ग्राम प्रधान गांव का कितना और किस तरह विकास करते हैं यह उनके द्वारा कराए गए कार्यों की समीक्षा करके आसानी से समझा जा सकता है। गौर विकास खंड के ग्राम पंचायत बेलघाट में नव निर्मित श्मशान घाट के गेट का छज्जा रविवार को आए आंधी—पानी में गिर गया है। बता दें कि इस श्मशान घाट का निर्माण कार्य पूर्व प्रधान रामरतन यादव के कार्यकाल में वर्ष 2021 के अंत में संपन्न हुआ है। लेकिन इसके निर्माण कार्य में मानकों का कितना पालन हुआ है इसकी गवाही खुद श्मशान घाट दे रहा है।

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गौरतलब है कि ग्रामसभा बेलघाट में बने श्मशान घाट के गेट का छज्जा 9 मई की रात को हुई बारिश में टूटा गया है। शुक्र है कि रात होने की वजह से कोई नहीं था, जिससे किसी तरह की अनहोनी की घटना नहीं हुई। सरकारी काम हो और भ्रष्टाचार न हो, यह संभव ही नहीं है। बस भ्रष्टाचार की कलई तब खुलती है जब कोई उसकी शिकायत करता है। लेकिन श्मशान घाट की शिकायत कौन करेगा, जब यहां पहुंचने वाला ही मौन होकर ही पहुंचता है। शायद यही कारण है कि बेलघाट ग्रामसभा का बना यह श्मशान घाट खुद ही अपने घटिया निर्माण कार्य की दास्तान सुना रहा है। हालांकि पूर्व प्रधान का कार्यकाल समाप्त हो गया है। नए प्रधान का चुनाव हो चुका है। ऐसे में देखना होगा कि क्या जिम्मेदार श्मशान घाट के मरममत की दिशा में ध्यान देंगे।

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निर्माण के लिए विधायक को लिखा था पत्र

बता दें कि कप्तानगंज विधानसभा क्षेत्र से विधायक सीए चंद्र प्रकाश शुक्ल को भारतीय जनता युवा मोर्चा बस्ती के जिला कार्य समिति सदस्य दीपक सोनी ने 25 मई, 2019 को गौर विकासखंड के ग्रामसभा बेलघाट में श्मशान घाट के निर्माण के लिए पत्र लिखा था। इसके बाद ग्राम पंचायत के तहत श्मशान घाट के लिए बजट का आवंटन हुआ। पूर्व प्रधान रामरतन यादव के नेतृत्व में श्माशान घाट का निर्माण कार्य कराया गया। मजे की बात यह है ग्राम पंचायत का पैसा, गांव का प्रधान और श्माशान घाट भी गांव का ही है। बावजूद इसके, निर्माण कार्य में मानकों की जमकर अनदेखी करते हुए घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया गया। जिस हिसाब से हल्की बारिश में गेट का छज्जा टूटा है, उससे यह समझा जा सकता है कि इसकी नींव व छत कितनी मजबूत होगी।

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इस बारे में बात करते हुए भाजपा जिला कार्य समिति के सदस्य दीपक सोनी बताते हैं कि श्मशान घाट के निर्माण कार्य में घटिया सामग्री का प्रयोग हुआ है। उन्होंने कहा कि निर्माण कार्य के लिए 25 लाख रुपए का बजट अवंटित हुआ था। जबकि निर्माण कार्य सबके सामने है। जो झज्जा एक हल्की बारिश तक नहीं झेल सकता वह पूरी बरसात कैसे झेलेगा। उन्होंने प्रशासन से श्मशान घाट के निर्माण की निष्पक्ष जांच कराने की मांग करते हुए कहा कि सरकारी धन के लूटखसोट में जो भी ​शामिल मिले उसके खिलाफ सख्त वैधानिक कार्यवाही की जाए।

श्मशान घाट को लेकर भाजपा सरकार की हो रही किरकिरी

बता दें कि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के राज में प्रदेश में सबसे ज्यादा श्मशान घाटों का निर्माण कराया गया है, जिसके चलते महामारी के इस दौर में विपक्ष सरकार का मजाक उड़ाने में लगी है। वहीं श्मशान घाट के निर्माण कार्य की गुणवत्ता की बात करें तो लगभग नवनिर्मित सभी श्मशान घाट सवालों की घेरे में हैं। ज्ञात हो कि वर्ष 2021 में गाजियाबाद के मुरादनगर में श्मशान घाट का छज्जा गिरने से कई लोगों की जान चली गई थी। इसके बाद जांच में पाया गया था कि श्मशान घाट के निर्माण में घोर लापरवाही बरती गई थी। घटिया सामग्रियों का प्रयोग हुआ था। हालांकि देखना हो कि प्रशासन बेलघाट श्मशान घाट में किसी बड़ी घटना के होने का इंतजार करती है या फिर समय रहते जिम्मेदारों पर कार्रवाई करते हुए इसके निर्माण कार्य को सुदृढ़ कराने की दिशा में कोई ठोस कदम उठाती है।

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