आर्थिक मंदी, मुद्रास्फीति और महंगाई (Economic Recession Definition) से त्रस्त दुनिया का परिदृश्य बहुत बदलने जा रहा है। यदि रूस यूक्रेन युद्ध लंबा चलता है तो वैश्विक ध्रुवित (Economic Recession Definition) राजनीति भी बदलेगी। विश्व में अमेरिका और यूरोप के अतिरिक्त रूस और चीन के ध्रुवीकरण से भूआर्थिक, भूसामजिक, भूराजनीतिक संबंध नए सिरे स बनाने पड़ेंगे। वैश्विक अर्थव्यवस्था (Economic Recession Definition) का तहस नहस होना तय है। विश्व के अनेक देशों में आंतरिक कलह और अस्थिरता बढ़ेगी। हर देश अलग अलग प्रकार की समस्याओं में उलझेगा और किसी को कोई आसान समाधान नहीं मिल सकेगा।
ऐसे में भारत जैसे देश के लिए एक ऐसा बड़ा अवसर सामने होगा, जिसको लेकर अभी से कार्य होना चाहिए। (Economic Recession Definition) वस्तुतः विश्व के समक्ष उपस्थित संकट का एक मात्र समाधान भगवा राजनीति है। भगवा को गंभीरता से समझ कर इसको मजबूत करना होगा। भगवा यानी सनातन संस्कृति (sanatan dharma) का मूल तत्व। इस मूल के आधार पर चलने वाली आध्यात्मिक शक्ति (sanatan dharma) ही मानव को शांति भी देगी और सभ्यता को स्थिरता भी। इसको ठीक से समझना होगा।
भगवा वैश्विक शक्ति
इसको भगवा राजनीति भी माना जा सकता है। यह सभ्यताओं के इतिहास से सीखा जा सकता है कि जब भी मानव सभ्यता अपने भौतिक संसाधनों की कमी या अधिकता, दोनों ही स्थितियों से गुजरती है तो स्थिर समाधान केवल आस्था और आध्यात्म में ही मिलता है। भारत के लिए यह एक बड़ा अवसर है कि प्राचीन अखंड सनातन भारत (sanatan dharma) के विभाजित भूभाग पर बने राष्ट्रों को आध्यात्म , आस्था और उपासना पद्धति के आधार पर जोड़ कर एक ऐसा आर्थिक, सामाजिक और रजानीतिक संघ बनाया जाए जिसमे वाणिज्य और व्यापार की खुली स्थापना से सभी एक दूसरे की जरूरतों को पूरा कर सकें।
इस संघ या मुक्त व्यापार क्षेत्र (फ्री ट्रेड ब्लॉक) के बन जाने का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि यह क्षेत्र वैश्विक अस्थिरता और मुद्रास्फीति से अपने को बचाने और अपने नागरिकों को सुरक्षित रखने में सफल होगा। इसको मोटे तौर पर इस ढंग से भी नियोजित किया जा सकता है कि प्राचीन काल में जहां जहां सनातन, हिन्दू बौद्ध संस्कृति की स्थापना रही है या प्रसार रहा है उन सभी को एक सूत्र में संगठित करने में बहुत मामूली परिश्रम ही करनी है।
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भारत के अलावा चीन, वियतनाम, कोरिया, इंडोनेशिया, मलेशिया, सिंगापुर, थाईलैंड, जापान, मारिशश, मंगोलिया, नेपाल, बर्मा, श्रीलंका आदि अनेक ऐसे राष्ट्र हैं जिनका समन्वय कर पश्चिम पर निर्भरता खत्म की जा सकती है। मध्य एशिया के सभी देश इसमे इसलिए भी सहायक हो जाएंगे, क्योंकि उनमें से अधिकांश सैन्यशक्ति विहीन हैं।
स्वाभाविक है कि इस आंधी में भौतिकता आधारित पश्चिम की पूरी शक्ति नष्ट हो जाएगी। ऐसे में भारत की अगुआई में जो फ्री ट्रेड ब्लॉक अपनी आध्यात्मिक, आस्था और प्राचीन पहचान के साथ तैयार होगा, वह इस पूरे क्षेत्र को स्थायी रूप से स्थिर तो बनायेगा ही, विश्व को नई दिशा भी देगा, जिससे भारत को विश्वगुरु के रूप में स्थापना हर प्रकार से मिल ही जाएगी।
उत्तर प्रदेश की भूमिका
भगवा वैश्विक शक्ति के निर्माण में भारत के भीतर सबसे बड़ी भूमिका उत्तर प्रदेश की बनेगी। वैसे भी उत्तर प्रदेश में अभी से वैसा परिवेश विकसित हो रहा है। हिंदुत्व और विकास का उत्तर प्रदेश एक मॉडल के रूप में दिख भी रहा है। इसका सबसे बड़ा कारण है इस प्रदेश की आध्यात्मिक, सांस्कृतिक बनावट और उसका विस्तार। अयोध्या में भगवान श्रीराम, काशी में भगवान शिव, प्रयाग में संगम और कुम्भ, मथुरा में श्रीकृष्ण स्थलों के अलावा सनातन हिन्दू संस्कृति के सैकड़ों ऐसे स्थल यहां विद्यमान हैं जिनके सुंदरीकरण और विस्तारीकरण के बाद से वैश्विक पर्यटन और स्वीकार्यता दोनों में व्यापक प्रगति दिख रही है।
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हिंदुत्व के तीर्थों के साथ ही उत्तर प्रदेश तीव्रगामी जन विकास में भी चल रहा है। हिंदुत्व और सनातन परिवेश में उत्तर प्रदेश लगातार विश्व पटल पर स्थापित हो रहा है। अध्यात्म और आस्था के साथ-साथ समकालीन वैश्विक प्रगति की दौड़ में यह प्रदेश आगे है। शिक्षा, चिकित्सा, सड़क, जल और वायु परिवहन तथा तकनीकी में उत्तर प्रदेश लागतार प्रगति कर रहा है।
उत्तर प्रदेश को भारतीय मॉडल बनाकर एक नए संघ के साथ आध्यात्मिक, आस्था और उपासना के आधार पर बड़ी शक्ति अर्जित करने की अपार संभावनाएं दिख रही हैं। जो राष्ट्र बौद्ध मत से प्रभावित या उनके अनुयायी हैं उनके लिए उत्तर प्रदेश में कुशीनगर, कपिलबस्तु जैसे स्थल हैं तो बिहार में गया जैसा पवित्र स्थल है जो सड़क और वायु मार्ग से बहुत ठीक से जुड़ा है।
ऐसे में स्वाभाविक रूप से भारत की तरफ सबका आकर्षण बढ़ भी रहा है। उत्तराखंड पूरी तौर पर सनातन हिन्दू क्षेत्र है। शिव, राम,कृष्ण, बुद्ध और कबीर के अलावा सिक्ख पंथ और शक्तिपीठों से भरे भारत और विशेष रूप से उत्तर प्रदेश में अपार संभावनाएं दिख रही हैं। स्वाभाविक है कि अस्थिरता और हिंसा के परिवेश को परिवर्तित करने के लिए ये सभी देश और कहें तो विश्व को एक मात्र उम्मीद भारत मे ही दिखेगी।
समानांतर आध्यात्मिक राजनीति
वैश्विक स्तर पर पारंपरिक सत्ता आधारित राजनीति के समानांतर आध्यात्मिक राजनीति का यह समय आ चुका है। यह सत्ता आधारित राजनीति से ज्यादा प्रभावी होगा। विनाश, हिंसा, आर्थिक विपन्नता और अपराध तथा भूख से बिखरती मानवता को केवल आध्यात्मिक शक्ति ही बचा सकती है। भौतिक संसाधनों की कमी और हालात सभी को इसी तरफ देखने को विवश करेंगे। यह सनातन सत्य है कि अत्यधिक हिंसा और विध्वंस के बाद सभी का आकर्षण आध्यात्म की तरफ ही होता है। जो हालात हैं उनमें भविष्य इसी प्रकार का दिख भी रहा है।
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यह ईश्वर प्रदत्त ऐसी शक्ति है जो केवल भारत के पास है। सत्ता आधारित राजनीति से क्षुब्ध विश्व को अध्यात्म आधारित व्यवस्था में अधिक शांति का अनुभव होगा। इस दशा में भारत विश्वगुरु बन कर दुनिया को शांति और सद्भाव के साथ जीने की राह दिखायेगा। भारत को यह अवसर वर्तमान विश्व परिदृश्य में मिलता दिख रहा है। ऐसे परिदृश्य में वैश्विक धरातल पर भगवा शक्ति का उदय होगा जो भारत की महत्ता को स्वीकारने पर विश्व को विवश करेगा। यह परिदृश्य सामने है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)
(यह लेखक के निजी विचार है)