प्रकाश सिंह
बहराइच: यूपी विधानसभा चुनाव के चौथे चरण का मतदान संपन्न हो चुका है। ऐसे में अब सबकी निगाहें पांचवें चरण के मतदान पर टिक गई हैं। बहराइच जनपद में 7 विधानसभा सीटें हैं। इन सातों सीटों का अलग-अलग इतिहास है। यहां के सियासी समीकरण भी अलग हैं। बहराइच की ये 282– बलहा, 283– नानपारा, 284– मटेरा, 285– महसी, 286– बहराइच, 287– पयागपुर, 288– कैसरगंज सात विधानसभा सीटें हैं। आइए जानतें हैं इन विधानसभा सीटों का सियासी इतिहास…
282– बलहा विधानसभा सीट
बलहा विधानसभा सीट पर लंबे समय से भाजपा का कब्जा रहा है। इस बार भी यह सीट भाजपा के खाते में जाती हुई दिखाई दे रही है। बलहा सुरक्षित सीट है, वर्ष 2012 के चुनाव में यहां से भाजपा की जीत हुई थी। बीजेपी से सावित्री बाई फुले यहां से विधायक चुनी गई थीं, लेकिन वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने उन्हें लोकसभा प्रत्याशी घोषित कर दिया। सावित्री बाई फुले के सांसद चुने जाने के बाद यह कि विधानसभा की सीट रिक्त हो गई। इसके लिए वर्ष 2015 में उपचुनाव कराए गए, जिसमें सपा प्रत्याशी बंसीधर बौद्ध की जीत हुई। उपचुनाव में सपा प्रत्याशी बंसीधर बौद्ध ने बीजेपी प्रत्याशी बरलाल गौड़ को 25,181 मतों के अंतर से हराया था।
वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने एक बार फिर अक्षयबर लाल को मैदान में उतारा। उधर सपा ने बंसीधर बौद्ध को प्रत्याशी घोषित किया, लेकिन इस बार सपा को हार का सामना करना पड़ा गया। इस बार अक्षयबर लाल गौड़ चुनाव जीत यह सीट फिर से भाजपा के खाते में डाल दिया। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने अक्षयबर लाल को प्रत्याशी बनाया और वह लोकसभा चुनाव जीत गए। इससे एक बार फिर यहां की विधानसभा सीट खाली हो गई। वर्ष 2019 में हुए उपचानाव में बीजेपी ने सरोज सोनकर को प्रत्याशी बनाया और वह चुनाव जीत गईं। बीजेपी ने सरोज सोनकर पर एकबार फिर भरोसा जताते हअुए चुनाव मैदान में उतारा है। आंकड़ों के मुताबिक इस सीट पर पिछड़ों का वर्चस्व रहा है। इस सीट पर निर्णायक की भूमिका में पिछड़े वर्ग के लोग हैं।
सियासी इतिहास
2012- सावित्री बाई फुले (बीजेपी)
2015 (उपचुनाव)- बंशीधर बौद्ध (सपा)
2017- अक्षयवर लाल गौड़ (बीजेपी)
2019 (उप चुनाव)- सरोज सोनकर (बीजेपी)
मतदाता
कुल मतदाता- 2,90,660
पुरुष- 1,60,159
महिला- 1,30,501
283– नानपारा विधानसभा सीट
बहराइच जिले की नानपारा विधानसभा सीट पर वर्ष 2017 में बीजेपी ने एक बार फिर जीत हासिल कर कांग्रेस से छीन लिया था। इसके पहले इस सीट पर वर्ष 1991 में भगवान श्री राम की लहर के बीच भाजपा ने जीत दर्ज की थी। भाजपा उम्मीदवार जयशंकर सिंह ने बसपा के फजलुर रहमान को हराकर अपना कब्जा जमाया था। वहीं वर्ष 1993 में इस सीट पर बसपा के फैजुर रहमान ने जीत हासिल की। वर्ष 1996 में भाजपा के जटाशंकर सिंह ने इस सीट पर दूसरी जीत दिलाई। वर्ष 2002 में जटाशंकर सिंह दूसरी बार भी बीजेपी के टिकट से विधायक बने। वर्ष 2002 में बसपा के वारिस अली हराने वाले भाजपा प्रत्याशी जटाशंकर सिंह को वर्ष 2007 में वारिश से ही हार का मुंह देखना पड़ा।
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2012 में कांग्रेस प्रत्याशी को मिली थी जीत
नानपारा विधानसभा सीट पर जीत हासिल करने में कांग्रेस भी सफल रही है। वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर जीत हासिल करने में कांग्रेस की माधुरी वर्मा सफल रहीं। उन्होंने बसपा प्रत्याशी को हराकर यह सीट अपने नाम किया था। माधुरी वर्मा को 46987 मत मिले, जबकि वारिस अली को 42665 मत मिले थे। माधुरी वर्मा ने 4322 मतों से बसपा प्रत्याशी को शिकस्त दी थी।
2017 में भाजपा में शामिल हुईं माधुरी
वर्ष 2017 विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस की विधायक माधुरी वर्मा ने पार्टी छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया। भाजपा के टिकट पर वह चुनाव लड़ीं और माधुरी वर्मा ने यहां लगातार दूसरी बार जीत दर्ज करते हुए विधायक चुनी गईं। माधुरी वर्मा को इस चुनाव में 86312 मत मिले, जबकि कांग्रेस प्रत्याशी वारिस अली को 67643 वोट हासिल हुए। माधुरी वर्मा ने एकबार फिर वारिस अली को 18669 मतों से हराया।
मतदाता
कुल मतदाता– 280121
पुरुष मतदाता– 152956
महिला मतदाता– 127157
थर्ड जेंडर– 08
284– मटेरा विधानसभा सीट
बहराइच जिले की मटेरा विधानसभा सीट पर सपा का वर्चस्व रहा है। मोदी लहर के बावजूद भी बीजेपी के हाथ यह सीट नहीं लग सकी। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के यासर शाह ने यहां से जीत हासिल की थी। उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी बीजेपी के अरुण वीर सिंह को 1,595 मतों के अंतर से हराया था। बता दें कि मटेरा विधानसभा सीट वर्ष 2008 में अस्तित्व में आई है।
सियासी इतिहास
2012- यासर शाह- (सपा)
2017- यासर शाह- (सपा)
जातिगत समीकरण
मटेरा मुस्लिम बाहुल्य सीट है, यहां मुस्लिम मतदाता निर्णायक भी भूमिका में हैं। यहां ओबीसी मतदाताओं की भी अच्छी खासी तादाद है।
मतदाता
कुल मतदाता– 2,66,769
पुरुष मतदाता– 1,45,932
महिला मतदाता– 1,20,821
285– महसी विधानसभा सीट
बहराइच जिले की महसी विधानसभा सीट पर लगभग सभी दलों के प्रत्याशियों को काम करने का मौका दिया है। महसी विधानसभा सीट पर वर्ष 2017 के चुनाव में बीजेपी के सुरेश्वर सिंह ने जीत दर्ज की थी। उन्होंने कांग्रेस के अली अकबर को 58 हजार 969 वोटों से हराया था।
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सियासी इतिहास
1991- नीलम सिंह (बीजेपी)
1993- दिलीप कुमार वर्मा (सपा)
1996- दिलीप कुमार (सपा)
2002-अली बहादुर (बसपा)
2007- सुरेश्वर सिंह (बीजेपी)
2012- कृष्णा कुमार ओझा (बसपा)
2017- सुरेश्वर सिंह (बीजेपी)
जातिगत समीकरण
महसी विधानसभा में सबसे ज्यादा ब्राह्मणों की तादाद हैं। यहां मुस्लिम मतदाताओं की भी संख्या अच्छी खासी है। ठाकुर मतदाताओं की भूमिका यहां निर्णायक है।
मतदाता
कुल मतदाता– 2,61,811
पुरुष मतदाता– 1,42,311
महिला मतदाता– 1,19,500
286– बहराइच विधानसभा सीट
बहराइच विधानसभा सीट पर लंबे समय से सपा का कब्जा रहा है। इस सीट पर सपा के कद्दावर नेता रहे डॉ. वकार अहमद शाह का 23 वर्षों तक कब्जा रहा। वर्ष 2017 में मोदी लहर में यहां सपा वर्चस्व टूटा और बीजेपी प्रत्याशी अनुपमा जायसवाल की जीत हुई। योगी सरकार में अनुपमा जायसवाल को राज्यमंत्री भी बनाया गया। वर्ष 2022 विधानसभा चुनाव में भी भाजपा के लिए यह सीट काफी अहम है, लेकिन इस बार यहां सपा का रुख साफ नजर आ रहा है। वर्ष 1980 में भाजपा ने पहली बार यहां जीत दर्ज की थी।
समाजवादी पार्टी के वकार अहमद शाह वर्ष 2012 में यहां से पांचवीं बार विधायक चुने गए। उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी चंद्रशेखर सिंह को 15496 वोटों से हराकर जीत हासिल की थी। जबकि वर्ष 2017 में भाजपा प्रत्याशी अनुपमा जायसवाल जीत हासिल करने में सफल रहीं। अनुपमा जायसवाल के खिलाफ खिलाफ सपा ने वकार अहमद शाह की पत्नी रुआब सईदा को प्रत्याशी बनाया था। जिन्हें अनुपमा जायसवाल ने 6702 वोटों से हराया था।
जातीय समीकरण
बहराइच विधानसभा सीट पर ब्राह्मण, ठाकुर मतदाताओं के साथ-साथ मुस्लिम मतदाताओं की संख्या काफी ज्यादा है। इसी के चलते मुस्लिम प्रत्याशियों के लिए यह सीट काफी मुफीद रही है। इसका उदाहरण समाजवादी पार्टी से वकार अहमद शाह के तौर पर सामने हैं, जो छह बार यहां से विधायक चुने गए।
कुल मतदाता– 306036
पुरुष मतदाता– 167994
महिला मतदाता– 138042
287– पयागपुर विधानसभा सीट
बहराइच जिले की पयागपुर विधानसभा सीट पर कभी काुग्रेस का दबदबा हुआ करता था, लेकिन अब इस सीट पर बीजेपी का कब्जा है। वर्ष 2017 के चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी सुभाष त्रिपाठी ने सपा प्रत्याशी मुकेश श्रीवास्तव उर्फ ज्ञानेंद्र प्रताप को 41 हजार 541 वोटों के अंतर से हराया था। पयागपुर विधानसभा सीट कैसरगंज लोकसभा सीट के अंतर्गत आती है। जहां से बृजभूषण शरण सिंह बीजेपी से सांसद हैं।
सियासी इतिहास
2012- मुकेश श्रीवास्तव उर्फ ज्ञानेंद्र प्रताप (कांग्रेस)
2017- सुभाष त्रिपाठी (बीजेपी)
जातिगत समीकरण
पयागपुर सीट पर ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या सबसे अधिक है। इस सीट पर ब्राह्मण मतदाता निर्णायक की भूमिका में है। यहां दलित और मुस्लिम मतदाताओं की भी संख्या अच्छी है।
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मतदाता
कुल मतदाता– 3,03,750
पुरुष मतदाता– 1,69,053
महिला मतदाता– 1,34,697
288– कैसरगंज विधानसभा सीट
बहराइच की कैसरगंज विधानसभा सीट पर वर्तमान समय में बीजेपी का कब्जा है। बीजेपी से मुकुट बिहारी वर्मा यहां से विधायक है। इस बार बीजेपी ने मुकुट बिहारी वर्मा के बेटे गौरव वर्मा को यहां से प्रत्याशी घोषित किया है। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी मुकुट बिहारी वर्मा ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी बसपा प्रत्याशी खालिद खान को 27 हजार 363 वोटों से हराया था। इस बार बीजेपी ने मुकुट बिहारी वर्मा के बेटे गौरव वर्मा को यहां से मैदान में उतारा है।
सियासी इतिहास
1991- रुदेंद्र विक्रम सिंह (बीजेपी)
1993, 1996, 2002- रामतेज (सपा)
2007- गुलाम मोहम्मद खान (बसपा)
2012, 2017- मुकुट बिहारी वर्मा (बीजेपी)
जातिगत समीकरण
आंकड़ों के मुताबिक कैसरगंज सीट पर दलित मतदाताओं की संख्या सबसे अधिक है। यहां पिछड़ी जातियों में यादवों की तादाद काफी अधिक है। कुर्मी और निषाद मतदाताओं की भी संख्या ठीकठाक है।
मतदाता
कुल मतदाता – 3,23,269
पुरुष मतदाता – 1,79,933
महिला मतदाता – 1,43,336
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