‘मरु भूमि’ में बदली देव भूमि, 150 सौ से अधिक लापता, 16 लोग जिंदा बचाए गए

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देहरादून। विकास की अंधी दौड़ में हम विनाश के इतने करीब आते जा रहे हैं कि कब किस तरह की आपदा आ जाए कुछ कहां नहीं जा सकता। उत्तराखंड के चमोली जिले के रैणी गांव में आज एक ग्लेशियर के टूटने से आई भयानक बाढ़ में कम से कम 150 लोगों के मरने की आशंका जताई जा रही है। बाढ़ के छटने के बाद आ रही तस्वीरों से इस भयानकता का अंदाजा लगाया जा सकता है। ग्लेशियर के टूटने से 13.3 मेगावाट ऋषि गंगा जल विद्युत परियोजना पूरी तरह से तबाह हो गया है। साथ ही यहां कार्यरत सभी कर्मचारी तबाही में समा गए हैं। राहत व बचाव कार्य में एनडीआरएफ की टीम के साथ भारतीय सेना को भी लगा दिया गया है। अब तक 16 लोगों का जिंदा बचाया जा सका है, जबकि 150 सो से अधिक लोगों के लापता होने की खबर है।

पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) अशोक कुमार ने बताया कि ऋषि गंगा पावर परियोजना में काम करने वाले कई लोग बाढ़ में बह गए, गाद और मलबे में फंसे लोगों को बचाने का काम चल रहा है। रेसक्यू आपरेशन पूरे होने में अभी 48 घंटे से ज्यादा का समय लग सकता है। उन्होंने बताया कि तपोवन बांध में फंसे हुए 16 लोगों को बचाव टीम ने बाहर निकाल लिया है। उन्होंने कहा कि यह आपदा रविवार की सुबह 10 बजकर 45 मिनट पर आई और इसकी वजह से चमोली में दो बांध को काफी नुकसान पहुंचा है। वहीं आपदा के बाद राज्य का आपदा तंत्र राहत बचाव अभियान के लिए जुट गया है और देर शाम सेना को भी बचाव कार्य में लगा दिया गया है।

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नदी किनारे बसे कई घरों और झोपड़ियां पानी के तेज बहाव में बह गई हैं और रास्ते में पड़ने वाले कई पेड़ बह गए हैं। ऋषि गंगा और अलकनंदा के बढ़ते जल स्तर को रोकने के लिए देश के सबसे ऊंचे टिहरी बांध से पानी का प्रवाह रोक दिया गया। श्रीनगर बांध से पानी का बहाव तेजी से बढ़ने और तेज जल प्रवाह को देखते हुए नदी के किनारों के सभी गांवों और निचले इलाकों को तत्काल खाली करवा दिया गया है।

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वहीं इस पूरे आपदा पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नजर बनाए हुए हैं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से बात करके हर संभव मदद का भरोसा दिलाया है। वहीं कांग्रेस ने आपदा की इस घड़ी में उत्तराखंड सरकार के साथ खड़े होने की बात कही है। हालांकि ग्लेशियर टूटने की यह घटना ऐसे समय में हुई है, जिसकी उम्मीद इस समय बिलकुल नहीं किया जा सकता था। क्योंकि ग्लेशियर पिघलने का खतरा गर्मी के मौसम में ज्यादा होता है। फिलहाल यह घटना बड़े खतरे के आहट की ओर संकेत कर रहे हैं।

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