Acharya Vishnu Hari Saraswati
आचार्य विष्णु हरि सरस्वती

आचार्य विष्णु हरि सरस्वती

Uniform Civil Code: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 27 जून को जो वीरता दिखायी है वह वीरता दिखाने की किसी में हिम्मत नहीं थी। एक ऐसे प्रसंग पर जो न केवल भेदभाव वाला है, बल्कि राष्ट्र की अस्मिता व विकास को भी लहूलुहान करने वाला है, मजहबी हिंसा की जड़ है, बढ़ती आबादी का जरिया है। हम बात कर रहे हैं समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) के प्रसंग की। समान नागरिक संहिता को लेकर जब भी बात आती है तब एक हिंसक वर्ग और उस वर्ग के गुर्गे तेज आवाज में बखेड़ा करते हैं, अल्पसंख्यक उत्पीड़न का आरोप जड़ देते हैं। पर अब समय दो-दो हाथ करने का आ गया है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भोपाल में वीरता के साथ कहा कि एक देश और दो कानून नहीं चलेगा। उन्होंने कहा कि तीन तलाक गैर कानूनी है और तीन तलाक से मुस्लिम महिलाओं का उत्पीड़न होता है और उनके उज्जवल भविष्य को कुचला जाता है। कई इस्लामिक देशों में भी तीन तलाक नहीं है। अभी तीन तलाक पर जो प्रतीकात्मक अंकुश था उसका कोई लाभ नहीं हुआ है। तीन तलाक की घटनाएं भी नहीं रुकी है। इस लिए तीन तलाक पूर्ण रूप से समाप्त होना ही चाहिए। समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) का विरोध क्यों किया जाता है? सीधे तौर पर विरोध इसलिए किया जाता है कि समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) बन जाने के बाद देश का संविधान और कानून की विषमताएं समाप्त हो जायेंगी।

बहुसंख्यक आाबदी को न्याय मिलेगा, बहुसंख्यक आबादी को दमित और अमपानित करने वाली पाबंदियां समाप्त हो जायेगी। भारत को एक मुस्लिम देश में तब्दील करने के जिहाद पर अंकुश लगेगा। वर्तमान संविधान और कानून भेदभावकारी है। बहुसंख्यक आबादी के साथ अन्याय है। बहुसंख्यक आबादी अपने धर्म ग्रंथ की शिक्षा स्कूलों में नहीं दे सकते हैं, बहुसंख्यक आबादी चार बीवियां नहीं रख सकती हैं। लेकिन मुस्लिम आबादी न केवल चार बीवियां रख सकती है, बल्कि चार में से किसी अन्य को तलाक देकर पांचवीं, छठीं, सातवीं आदि बीवियां रख सकती हैं। अपनी शिक्षण संस्थानों में अपने हिंसक ग्रंथ की शिक्षा भी मुस्लिम आबादी दे सकती हैं। जब बीवियां अनेक होंगी तो फिर आबादी भी उसी ढंग से बढ़ेगी। आबादी बढ़ेगी तो फिर माल्थस का सिद्धांत भी लागू होगा। आज देश के अंदर जो गरीबी है, अपराध है, असमानता है, हिंसा है, आतंकवाद है, उसके पीछे कारण भी यही है।

समान नागरिक संहिता का विरोध भी होगा, इसके लिए नरेन्द्र मोदी को सुरक्षा के चाकचौबंद व्यवस्था भी करनी होगी। सेना और पुलिस को मजबूत बनाना होगा, जनता को जागरूक भी करना होगा। इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कूटनीति भी मजबूत करनी होगी। आपने सीएए का विरोध नहीं देखा था क्या? शाहीन बाग की राष्ट्र विरोधी हरकते नहीं देखी थी, किस प्रकार से मुस्लिम वर्ग हिंसा पर उतर गयी थी। यह भी किसी से छिपी हुई बात थी क्या? दिल्ली में तो सीएए विरोधी मुस्लिम आबादी दंगा भी करने से भी नहीं डरी थी। मैं नरेन्द्र मोदी को एक सलाह देता हूं। सलाह यह है कि जो लोग समान नागरिक संहिता का विरोध करेंगे उन्हें शांति पूर्ण ढंग से कुचलने और सभ्यता व कानून का पाठ पढ़ाने का उपाय भी बता रहा हूं।

इसे भी पढ़ें: मुस्लिम परस्ती, अमेरिका के लिए फांसी का फंदा बनेगी?

ऐसे लोगों को मुस्लिम शरीयत कानून का प्रस्ताव दे दीजिये। आप कह दीजिये कि जिन्हें समान नागरिक संहिता से परेशानी है, उन्हें इस्लामिक शरीयत कानून दिया जाता है। चोरी करने पर हाथ काटने की सजा मिलेगी, दुष्कर्म करने पर पत्थर से मार-मार कर हत्या होगी आदि। फिर देखिये कि मुस्लिम आबादी कैसे अपनी ही शरीयत संहिता से कैसे भागेगी। अब तक तो लाभकारी शरीयत संहिता का मनोरंजन ही कर रही है मुस्लिम आबादी। पर शरीयत संहिता लागू होने पर उन्हें फिर अन्य लाभकारी भारतीय कानूनों से मुक्त होना पड़ेगा। शरीयत कानून देकर एक बार देखिये मोदी जी, इनकी सारी हेकड़ी और फन न जमींदोज हो जायेगा, तो फिर मुझे कहियेगा। आपकी शाब्दिक वीरता के लिए धन्यवाद।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।)

(यह लेखक के निजी विचार हैं।)

इसे भी पढ़ें: बदलते समाज में संस्कार का अभाव

Spread the news