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![निशा सिंह "नवल"](https://newschuski.com/wp-content/uploads/2021/05/Nisha-Singh.jpg)
वक्त यह जैसा कहेगा अब तुम्हें ढलना पड़ेगा
आंधियों में ओ मुसाफिर अनवरत चलना पड़ेगा
लाख बाधायें भले ही
अब तुम्हें आकर डरायें
हों भले अवरोध कितने
पग न लेकिन डगमगायें
स्वांस में विश्वास लेकर यह समर लड़ना पड़ेगा
आंधियों में ओ मुसाफिर अनवरत चलना पड़ेगा
छोड़ दें या छूट जाएं
इस धरा के सब सहारे
सब्र के सब बांध चाहे
तोड़ दे यह अश्रु धारे
खौफ का पहरा कड़ा पर अब हमें बढ़ना पड़ेगा
आंधियों में ओ मुसाफिर अनवरत चलना पड़ेगा
साथियों यदि हो निराशा
जिन्दगी मत खार करना
पीर के हर सिन्धु को तुम
मुस्कुराकर पार करना
काल-ताण्डव रोकना है तो हमें अड़ना पड़ेगा
आँधियों में ओ मुसाफिर अनवरत चलना पड़ेगा
दीप आशा के जले तो
फिर खुशी हर ओर होगी
है अभी माना अंधेरा
फिर सुहानी भोर होगी
सृष्टि का होगा सृजन अब मृत्यु को टलना पड़ेगा
आँधियों में ओ मुसाफिर अनवरत चलना पड़ेगा
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