Pauranik Katha: महाभारत के किरदारों में श्रीकृष्ण और द्रौपदी का रिश्ता सबसे खास और अनोखा था। आइए आज समझते हैं कि कैसे ये दोनों एक-दूसरे के लिए मित्र, भाई-बहन और फिर रिश्तेदार भी बन गए।

भाई-बहन जैसा अनोखा रिश्ता

सबसे मशहूर किस्सा है चीरहरण का। जब दु:शासन द्रौपदी की साड़ी खींच रहा था, तब कृष्ण ने उनकी लाज बचाई थी। इसी तरह एक बार जब कृष्ण की उंगली कट गई, तो द्रौपदी ने तुरंत अपनी साड़ी का पल्लू फाड़कर उनकी उंगली पर बांध दिया। इस पवित्र आदान-प्रदान ने उनके रिश्ते को भाई-बहन जैसा बना दिया।

समधी का रिश्ता, छुपी हुई बेटी की कहानी

महाभारत की मुख्य कथा में तो नहीं, लेकिन अन्य कथाओं के मुताबिक द्रौपदी और युधिष्ठिर की एक बेटी थी सुथनु। कहा जाता है कि द्रौपदी ने इस बेटी का रहष्य रखने के लिए वेद व्यास से वचन लिया था। युद्ध के बाद सुथनु का विवाह श्रीकृष्ण और सत्यभामा के पुत्र भानू से हुआ। इस तरह श्रीकृष्ण, द्रौपदी और युधिष्ठिर के समधी बन गए।

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और भी थे पारिवारिक कनेक्शन

श्रीकृष्ण के परिवार की द्रौपदी से कई तरह से जुड़े थे। श्रीकृष्ण की पत्नी जामवंती के पुत्र साम्ब ने दुर्योधन की बेटी लक्ष्मणा से शादी की, यानी कृष्ण और दुर्योधन भी समधी बन गए। वहीं, कृष्ण की बहन सुभद्रा का विवाह अर्जुन से हुआ था, इसलिए अर्जुन कृष्ण के जीजा भी थे।

सार यह है कि महाभारत के ये रिश्ते एक जटिल और गहरे पारिवारिक जाल की तरह थे, जहाँ श्रीकृष्ण और द्रौपदी का बंधन सबसे विशेष और भरोसे का था।

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