उतान सोने…
ज्येष्ठ मास रीती सरिताएँ, रीते मन के क्षोभित कोने! सुलग रही हैं दसों दिशाएँ, चली चंचला उतान सोने!! ठुमुक-ठुमुककर बत्तखों जैसी, चाल भवानी की मतवाली! गदरानी कुम्हलाती बाँहें, कमसिन है…
ज्येष्ठ मास रीती सरिताएँ, रीते मन के क्षोभित कोने! सुलग रही हैं दसों दिशाएँ, चली चंचला उतान सोने!! ठुमुक-ठुमुककर बत्तखों जैसी, चाल भवानी की मतवाली! गदरानी कुम्हलाती बाँहें, कमसिन है…
देख तुम्हारी अदा प्रिये, बिन पिये नशा छा जाता है। आने की तेरी आहट सुन, दिल झूम-झूम कर गाता है।। नभ से वसुधा पर आई हो, तुम परी हो कोई…