Kahani: हो गई गलती

Kahani: राजा कृष्णदेव राय का दरबार सजा था। सदा की भाँति तेनालीराम भी अपने आसन पर विराजमान थे। महाराज कृष्णदेव राय के दरबार में योग्य व्यक्तियों का अभाव न था।…

Kahani: विश्वास

Kahani: एक डाकू था जो साधु के भेष में रहता था। वह लूट का धन गरीबों में बाँटता था। एक दिन कुछ व्यापारियों का जुलूस उस डाकू के ठिकाने से…

Kahani: बाँट कर खाने वाला कभी भूखा नहीं मरता

Kahani: एक डलिया में संतरे बेचती बूढ़ी औरत से एक युवा अक्सर संतरे खरीदता। वह खरीदे संतरों से एक संतरा निकाल उसकी एक फाँक चखता और कहता- ये कम मीठा…

Poem: सुकून गाँव में है

सुकून गाँव में है, पेड़ों के छाँव में है। शहर के लोग तो, टेंशन, तनाव में हैं। स्वतंत्र हैं लोग यहाँ, न किसी प्रभाव में हैं। द्वेष में कुछ न…

Prerak Prasang: परहित-सबसे बड़ा धर्म

Prerak Prasang: एक बार भगवान श्रीकृष्ण और अर्जुन भ्रमण के लिए कहीं निकले थे। उन्होंने मार्ग में एक निर्धन ब्राह्मण को भिक्षा मांगते देखा तो अर्जुन को उस पर दया…

Kahani: न्यायप्रिय राजा और लालची प्रजा

Kahani: एक बड़ा सुन्दर शहर था, उसका राजा बड़ा उदार और धर्मात्मा था। प्रजा को प्राणों के समान प्यार करता और उनकी भलाई के लिए बड़ी-बड़ी सुन्दर राज व्यवस्थाएं करता।…

Prerak Prasang: संपत्ति बड़ी या संस्कार

Prerak Prasang: दक्षिण भारत में एक महान सन्त हुए तिरुवल्लुवर। वे अपने प्रवचनों से लोगों की समस्याओं का समाधान करते थे। इसलिए उन्हें सुनने के लिए दूर-दूर से लोग उनके…

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