Prerak Prasang: परिश्रम रूपी धन

Prerak Prasang: सुन्दरपुर गांव में एक किसान रहता था। उसके चार बेटे थे। वे सभी आलसी और निक्कमे थे। जब किसान बुढ़ा हुआ तो उसे बेटों की चिंता सताने लगी।…

Prerak Prasang: संगति, परिवेश और भाव

Prerak Prasang: एक राजा अपनी प्रजा का भरपूर ख्याल रखता था। उसके राज्य में अचानक से चोरी की शिकायतें बहुत आने लगीं। कोशिश करने से भी चोर पकड़ा नहीं गया।…

Kahani: गुरु की बात मानो

Kahani: नारायण दास एक कुशल मूर्तिकार थे। उनकी बनाई मूर्तियां दूर-दूर तक मशहूर थीं। नारायण दास को बस एक ही दुख था कि उनके कोई संतान नहीं थी। उन्हें हमेशा…

Kahani: हो गई गलती

Kahani: राजा कृष्णदेव राय का दरबार सजा था। सदा की भाँति तेनालीराम भी अपने आसन पर विराजमान थे। महाराज कृष्णदेव राय के दरबार में योग्य व्यक्तियों का अभाव न था।…

पुण्यकोटी गाय की मार्मिक कहानी

Kahani: कलिंग नामक एक ग्वाला पहाड़ के निकट अपनी गायों के साथ बहुत सुख-सन्तोष से रहता था। उसकी गायों में पुण्यकोटि नाम की एक गाय थी, जो अपने बछड़े को…

Kahani: जीवन की मूल परिभाषा

Kahani: एक धन सम्पन्न व्यक्ति अपनी पत्नी के साथ रहता था। पर कालचक्र के प्रभाव से धीरे-धीरे वह कंगाल हो गया। उस की पत्नी ने कहा कि सम्पन्नता के दिनों…

Prerak Prasang: सुदामा होना सरल नहीं है

Prerak Prasang: जैसे ही द्वारकाधीश ने तीसरी मुट्ठी चावल उठा कर फांक लगानी चाही, रुक्मिणी ने जल्दी से उनका हाथ पकड़ कर कहा, क्या भाभी के लाये इन स्वादिष्ट चावलों…

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