Prerak Prasang: संगति, परिवेश और भाव

Prerak Prasang: एक राजा अपनी प्रजा का भरपूर ख्याल रखता था। उसके राज्य में अचानक से चोरी की शिकायतें बहुत आने लगीं। कोशिश करने से भी चोर पकड़ा नहीं गया।…

Kahani: गुरु की बात मानो

Kahani: नारायण दास एक कुशल मूर्तिकार थे। उनकी बनाई मूर्तियां दूर-दूर तक मशहूर थीं। नारायण दास को बस एक ही दुख था कि उनके कोई संतान नहीं थी। उन्हें हमेशा…

Kahani: हो गई गलती

Kahani: राजा कृष्णदेव राय का दरबार सजा था। सदा की भाँति तेनालीराम भी अपने आसन पर विराजमान थे। महाराज कृष्णदेव राय के दरबार में योग्य व्यक्तियों का अभाव न था।…

Kahani: विश्वास

Kahani: एक डाकू था जो साधु के भेष में रहता था। वह लूट का धन गरीबों में बाँटता था। एक दिन कुछ व्यापारियों का जुलूस उस डाकू के ठिकाने से…

Kahani: संगठन का महत्व

Kahani: एक व्यक्ति था जो सदैव अपने संगठन (ग्रुप) में सक्रिय रहता था। उसको सभी जानते थे, बड़ा मान सम्मान मिलता था। अचानक किसी कारण वश वह निष्क्रिय रहने लगा,…

Prerak Prasang: परहित-सबसे बड़ा धर्म

Prerak Prasang: एक बार भगवान श्रीकृष्ण और अर्जुन भ्रमण के लिए कहीं निकले थे। उन्होंने मार्ग में एक निर्धन ब्राह्मण को भिक्षा मांगते देखा तो अर्जुन को उस पर दया…

Kahani: न्यायप्रिय राजा और लालची प्रजा

Kahani: एक बड़ा सुन्दर शहर था, उसका राजा बड़ा उदार और धर्मात्मा था। प्रजा को प्राणों के समान प्यार करता और उनकी भलाई के लिए बड़ी-बड़ी सुन्दर राज व्यवस्थाएं करता।…