लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में मिली शिकस्त के बाद समाजवादी पार्टी में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। सपा के अधिकतर नेता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से नाराज दिख रहे हैं। सपा का यादव और मुस्लिम बेस वोटर का विश्वास भी पार्टी से डगमगा रहा है। मुस्लिम नेता अब अखिलेश यादव के नेतृत्व पर सवाल उठा रहे हैं, बल्कि उनपर टिप्पणी भी करना शुरू कर दिया है। इसी कड़ी में सपा नेता सलमान जावेद राइन ने आजम खान के समर्थन में सपा से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने अखिलेश यादव पर मुसलमानों के पक्ष में चुप रहने का आरोप लगाया है।
गौरतलब है कि सलमान जावेद सुल्तानपुर विधानसभा सीट से सपा के सचिव हैं। उनका आरोप है कि योगी सरकार की तरफ से सपा नेताओं पर जारी कार्रवाई अखिलेश यादव की चुप्पी मुस्लिमों के साथ धोखा है। इसके चलते वह पार्टी से इस्तीफा दे रहे हैं। इतना ही नहीं, सलमान जावेद ने पार्टी को भेजे अपने पत्र में लिखा है कि आजम खान को परिवार सहित जेल में डाल दिया गया। नाहिद हसन को भी जेल पहुंच गए। बरेली में सपा विधायक शहजिल इस्लाम का पेट्रोल पंप भी ध्वस्त कर दिया गया, मगर अखिलेश यादव का कोई बयान नहीं आया। वह खामोश हैं। सलमान ने तीखा हमला करते हुए कहा कि जो कायर नेता अपने विधायकों के लिए आवाज नहीं उठा सकता, वह आम कार्यकर्ता के लिए क्या बोलेगा।
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बता दें कि इससे पहले 11 अप्रैल को आजम खान के मीडिया प्रभारी फसाहत अली खां शानू ने अखिलेश यादव पर तीखा हमला बोला था। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा था कि अखिलेश यादव नहीं चाहते कि आजम खान जेल से बाहर आएं। इसके साथ ही उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बयान को भी सही ठहराया था। फसाहत अली खां शानू ने एक बैठक को संबोधित करने के दौरान कहा था कि क्या यह मान लिया जाए कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सही कहते हैं कि अखिलेश नहीं चाहते कि आजम खान जेल से रिहा हों। उन्होंने कहा कि आजम खान के जेल में बंद होने की वजह से हम लोग सियासी रूप से यतीम हो गए हैं। ऐसे में हम कहां जाएंगे, किससे अपनी बात कहेंगे और किसको अपना गम सुनाएंगे। हमारे साथ तो अब वह समाजवादी पार्टी भी नहीं है, जिसके लिए हमने अपने खून का एक एक कतरा बहा दिया।
इसी क्रम में ऑल इंडिया तंजीम उलेमा ए इस्लाम के राष्ट्रीय महासचिव मौलाना शहाबुद्दीन रिज़वी ने कहा है कि मुसलमानों को अब धर्मनिरपेक्षता का ठेका लेना बंद कर देना चाहिए और अपनी राजनीति व अपनी भागीदारी के बारे में नये सिरे से सोचना होगा। जब तक कि वे किसी एक खास पार्टी के सहारे जीते हैं, उन्हें कुछ नहीं मिलेगा।
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