गोंडा: गरीब मजदूरों को काम मिले और गांव का विकास हो सके इसके लिए मनरेगा योजना चलाई गई। मनरेगा के तहत गरीब मजदूरों को अपने क्षेत्र में काम तो मिल गया पर उनकी मजदूरी पर ग्राम प्रधान और सेक्रेटरी की गिद्ध दृष्टि बनी हुई है। आरोप है कि मनरेगा के तहत मिलने वाली मजदूरी में ग्राम प्रधान, ग्राम विकास अधिकारी तक का हिस्सा बंधा हुआ है। वहीं ऐसे मजदूर भी हैं, जिनका जॉब कार्ड बना है, हाजिरी रजिस्टर में उनकी उपस्थिति भी रहती है, लेकिन वह शहर से बाहर काम कर रहे हैं।

ऐसे में उनके नाम से भुगतान भी होता रहता है, लेकिन यह पैसा कौन हजम कर रहा है, यह जांच का विषय है। फिलहाल गोंडा जिला प्रशासन देर से ही सही, लेकिन उसे यह घोटाला अब खटकने लगा है। जिले में मनरेगा जाॅब कार्ड धारकों को होने वाले पारिश्रामिक भुगतान में और बिना काम कराए जाॅब कार्ड धारकों से सरकारी धन की बंदर-बांट करने वाले ग्राम प्रधान एवं पंचायत सचिव अब जिला प्रशासन के निशाने पर आ गए हैं।

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मुख्य विकास अधिकारी शशांक त्रिपाठी ने बताया कि इस प्रकार की शिकायतें लगातार प्राप्त हो रही हैं कि कुछ लोगों द्वारा मनेरगा जाॅब कार्ड धारकों को उनके काम के बदले किए जाने वाले पारिश्रामिक भुगतान में जबरन हिस्सेदारी ली जा रही है। यही नहीं फर्जी जाॅब कार्ड यानी ऐसे लोग जो मनरेगा में काम नहीं करते हैं, परन्तु उनका जाॅब कार्ड बना हुआ है और उनके नाम का मस्टर रोल जारी किया जाता है तथा भुगतान के समय ऐसे लोेगों से प्रधान व सचिव द्वारा अगूंठा लगवाकर या साइन कराकर भुगतान की कुछ राशि देकर बाकी राशि हड़प ली जाती है।

ऐसे सभी जॉब कार्डों का सत्यापन होगा और बिना काम किए ही जाॅब कार्ड धारक को भुगतान करने वाले अथवा वास्तव में काम करने वाले जॉब कार्ड धारकों से अवैध वसूली करने वाले लोगों के खिलाफ कार्यवाही की जाएगी। उन्होंने कहा कि गरीबों का हक व मजदूरी छीनने वाले लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराकर जेल भेजने की कार्यवाही सुनिश्चित कराई जाएगी इसके लिए ऐसे लोगों को चिन्हित करने का काम शुरू कर दिया गया है और जल्द ही ऐसे लोग जिला प्रशासन की गिरफ्त में होंगे।

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